कल है विश्वकर्मा पूजा , विधि विधान से विश्वकर्मा पूजा
भगवान विश्वकर्मा को देव शिल्पी कहा जाता है। उन्होंने सतयुग में स्वर्गलोक, त्रेतायुग में लंका, द्वापर में द्वारकाऔर कलियुग में जगन्नाथ मंदिर की विशाल मूर्तियों का निर्माण किया है। ऋगवेद में इनके महत्व का वर्णन 11 ऋचाएं लिखकर किया गया है। 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंति पर शुभ मुहूर्त में किया गया पूजन कारोबार मेंइजाफा करने के साथ ही आपको धनवान भी बना सकता है। आइए जानते हैं क्या है इस साल भगवानविश्वकर्मा की पूजा का शुभ मुहूर्त शुभ मुहूर्त इस साल वृश्चिक लग्न जो कि सुबह 10:17 बजे से 12:34 तक है। यह विशेष लाभकारी व सफलतादायी है, क्योंकि मंगल पराक्रम भाव में उच्च का बैठा है।विधि-विधान से करें पूजाभगवान विश्वकर्मा की पूजा विधि-विधान से करने पर विशेष फल प्रदान करती है। सबसे पहले पूजा के लिएजरूरी सामग्री जैसे अक्षत, फूल, चंदन, धूप, अगरबत्ती, दही, रोली, सुपारी, रक्षा सूत्र, मिठाई, फल आदि कीव्यवस्था कर लें। इसके बाद फैक्ट्री, वर्कशॉप, ऑफिस, दुकान आदि के स्वामी को स्नान करके सपत्नीक पूजाके आसन पर बैठना चाहिए। कलश को स्थापित करें और फिर विधि—विधान से क्रमानुसार या फिर अपनेपंडितजी के माध्यम से पूजा करें। पूजा धैर्यपूर्वक करें और सम्पन्न होने के बाद अपने ऑफिस, दुकान याफैक्टरी के साथियों व परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही पूजा स्थान को छोड़ें।