अर्द्ध कुम्भ के लिए गंगा-यमुना की निर्मलता आवश्यक, केन्द्र की ‘नमामि गंगे’ परियोजना के तहत हो काम: सीएम योगी आदित्यनाथ

By Tatkaal Khabar / 01-04-2017 03:02:47 am | 25280 Views | 0 Comments
#

मुख्यमंत्री ने वर्ष 2019 में इलाहाबाद में होने वाले 
अर्द्ध कुम्भ मेले की अभी से तैयारी करने के निर्देश दिए

गंगा को प्रदूषण रहित बनाना होगा, ताकि श्रद्धालुओं को कोई समस्या न हो

अर्द्ध कुम्भ के लिए गंगा-यमुना की निर्मलता अत्यन्त आवश्यक

गंगा नदी की धारा को प्रदूषण रहित बनाने के लिए केन्द्र सरकार
द्वारा चलायी जा रही ‘नमामि गंगे’ परियोजना के तहत काम हो: मुख्यमंत्री

कानपुर तथा कन्नौज जनपदों की चमड़ा उद्योग 
इकाइयों को चरणबद्ध तरीके से शिफ्ट किया जाएगा
लखनऊ: 01 अप्रैल, 2017
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को इलाहाबाद में वर्ष 2019 में होने वाले अर्द्ध कुम्भ मेले की अभी से तैयारी करने के निर्देश दिए हैं। आज यहां शास्त्री भवन में आयोजित एक समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि अर्द्ध कुम्भ मेले के दौरान बहुत बड़ी संख्या में लोग संगम पर स्नान के लिए पहुंचेंगे। इसलिए गंगा को अभी से प्रदूषण रहित बनाना होगा, ताकि स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो और पानी गंदा और काला न प्रतीत हो। उन्होंने कहा कि अर्द्ध कुम्भ के लिए गंगा-यमुना की निर्मलता अत्यन्त आवश्यक है। अर्द्ध कुम्भ-2019 के दौरान लगभग 12 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है।
मुख्यमंत्री ने गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के उद्देश्य से कानपुर तथा कन्नौज जनपदों में चल रही चमड़ा उद्योग इकाइयों को चरणबद्ध तरीके से शिफ्ट करने के निर्देश देते हुए कहा कि गंगा नदी की धारा को प्रदूषण रहित बनाने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा चलायी जा रही ‘नमामि गंगे’ परियोजना के तहत प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में प्रवेश के बाद गंगा नदी के किनारे बसे कई जनपदों के नालों, उद्योगों इत्यादि के उत्प्रवाह को इसमें गिराया जाता है, जिसके कारण गंगा का जल अत्यधिक प्रदूषित हो चुका है। यह सुनिश्चित करना होगा कि गंगा में प्रदूषित जल न पहुंचे, ताकि इसका जल हर हाल में निर्मल बने। इससे गंगा की धारा अविरल बनेगी। 
योगी ने कहा कि रुड़की के पास से गंगा नदी के जल को विभिन्न क्षेत्रों में जल की समस्या से निपटने के लिए अनेक नहरों की ओर डायवर्ट किया जाता है, जिससे नदी में जल की मात्रा कम हो जाती है। किसानों के हितों को देखते हुए सिंचाई आदि कार्य हेतु जहां एक ओर नहरों में जल की पर्याप्त उपलब्धता आवश्यक है, वहीं दूसरी ओर विभिन्न शहरों की पेयजल समस्या का समाधान भी जरूरी है। इन शहरों की जल समस्या से निपटने तथा जल की समुचित उपलब्धता के लिए ग्रामीण इलाकों में मनरेगा के तहत तालाबों इत्यादि की खुदाई करवायी जाए और वर्षा जल संचित किया जाए, ताकि गंगा में पानी की कमी न हो। उन्होंने ऐसी परियोजनाएं लागू करने पर बल दिया, जो गंदे जल के बहाव को रोकें और उनका समुचित निस्तारण सुनिश्चित करें। उन्होंने ग्राम पंचायतों तथा स्थानीय निकायों से सहयोग लेने के भी निर्देश दिए। 
योगी ने कहा कि गंगा की निर्मलता के लिए केन्द्र सरकार द्वारा ‘नमामि गंगे’ परियोजना के तहत धनराशि उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे इसके लिए केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय से सम्पर्क कर परियोजनाएं स्वीकृत कराएं, ताकि ‘नमामि गंगे’ परियोजना के तहत गंगा की सहायक नदियों को शामिल करते हुए उन्हें भी प्रदूषण मुक्त बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि ‘नमामि गंगे’ परियोजना को सफल बनाने में उत्तर प्रदेश की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण होगी। ऐसे में हम सब को लगातार प्रयास करने होंगे। उन्होंने नदियों की डी-सिल्टिंग के निर्देश देते हुए कहा कि इसके उपरान्त नदियां पुनर्जीवित हो जाएंगी और जल की कोई कमी नहीं रहेगी। बैठक में मंत्रिमण्डल के कई सदस्य तथा वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।