Chaitra Navratri 2020 : जानें कब है अष्टमी और नवमी, कैसे करें कन्या पूजन

By Tatkaal Khabar / 31-03-2020 12:54:27 pm | 18313 Views | 0 Comments
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चैत्र नवरात्रि का कल आठवां दिन है। इस बार कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते नवरात्रि पूजन को कम सामान की उपलब्धता के बीच करना किसी चुनौती से कम नहीं रहा। वहीं, लॉकडाउन की वजह से मंदिर भी नहीं खुले, जिसके चलते श्रद्धालुओं को घर में पूजा करनी पड़ी।  नवरात्र के आठवें और नौवें दिन यानी कि अष्टीमी (Ashtami) और नवमी (Navami) को कन्या पूजन (Kanya Pujan) कर व्रत का किया जाता है। आप अ‍पनी मान्यतानुसार अष्टयमी या नवमी में से कोई भी दिन चुन कर कन्या पूजन कर सकते हैं। 


अष्टमी और नवमी कब हैं
चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन अष्टयमी और नौवें दिन नवमी मनाई जाती है। इस बार अष्टमी 1 अप्रैल को है, जबकि नवमी 2 अप्रैल को मनाई जाएगी। इसी दिन राम नवमी का त्यो‍हार भी है।

ऐसे करें अष्टमी और नवमी पूजन 
अष्टमी के दिन मां दुर्गा के आठवें रूप यानी कि महागौरी का पूजन किया जाता है। सुबह महागौरी की पूजा के बाद घर में नौ कन्याओं और एक बालक को घर पर आमंत्रित किया जाता है। सभी कन्याओं और बालक की पूजा करने के बाद उन्हेंं हलवा, पूरी और चने का भोग दिया जाता है। इसके अलावा उन्हें भेंट और उपहार देकर विदा किया जाता है। वहीं, नवमी के दिन सिद्धिदात्री की पूजा के बाद कंजक पूजी जाती हैं। हालांकि, दोनों दिन में से किसी एक ही दिन कन्याि पूजन करना किया जाता है। 

कैसे करें कन्या पूजन
- अष्टमी के दिन कन्या  पूजन के दिन सुबह-सवेरे स्नामन कर भगवान गणेश और महागौरी की पूजा करें।
- अगर नवमी के दिन कन्या पूजन कर रहे हैं तो भगवान गणेश की पूजा करने के बाद मां सिद्धिदात्री की पूजा करें।
- कन्या पूजन के लिए दो साल से लेकर 10 साल तक की नौ कन्यााओं और एक बालक को आमंत्रित करें। आपको बता दें कि बालक को बटुक भैरव के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव ने हर शक्ति पीठ में माता की सेवा के 
लिए बटुक भैरव को तैनात किया हुआ है। कहा जाता है कि अगर किसी शक्तिज पीठ में मां के दर्शन के बाद भैरव के दर्शन न किए जाएं तो दर्शन अधूरे माने जाते हैं।
- ध्यान रहे कि कन्यां पूजन से पहले घर में साफ-सफाई हो जानी चाहिए। कन्याै रूपी माताओं को स्वकच्छ‍ परिवेश में ही बुलाना चाहिए। 
- कन्याचओं को माता रानी का रूप माना जाता है। ऐसे में उनके घर आने पर माता रानी के जयकारे लगाएं। 
- अब सभी कन्या ओं को बैठने के लिए आसन दें।
- फिर सभी कन्यााओं के पैर धोएं। 
- अब उन्हें रोली, कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं। 
- इसके बाद उनके हाथ में मौली बाधें। 
- अब सभी कन्याेओं और बालक को घी का दीपक दिखाकर उनकी आरती उतारें। 
- आरती के बाद सभी कन्याओं को यथाशक्ति भोग लगाएं। आमतौर पर कन्याा पूजन के दिन कन्याेओं को खाने के लिए पूरी, चना और हलवा दिया जाता है। 
- भोजन के बाद कन्याओं को यथाशक्ति भेंट और उपहार दें।
- इसके बाद कन्याओं के पैर छूकर उन्हेंं विदा करें।