पेट की चर्बी कम करने और कमर को लचीला बनाने के लिए इन खास योगासनों का जरूर करें अभ्यास

By Tatkaal Khabar / 25-07-2020 03:39:01 am | 23563 Views | 0 Comments
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एक अच्छे दिन की शुरुआत योग (Yoga) और एक्सरसाइज के साथ होनी चाहिए. कोरोना (Corona) महामारी के समय घर पर बैठे लोगों के लिए शरीर को फिट (Fit) और हेल्दी (Healthy) रखने के लिए योग का अभ्यास करना बहुत जरूरी है. दिनभर में कम से कम एक घंटा योग पर जरूर दें. इन अभ्यासों को करने से न केवल मनुष्य स्वस्थ (Healthy) रह सकता है बल्कि उसे हर प्रकार के तनाव (Stress) से भी मुक्ति मिलती है. योग एक कला है और इसका अभ्यास धीरे-धीरे करना चाहिए. वर्क फ्रॉम होम करने वालों को तो खासतौर पर इन अभ्यासों को करना चाहिए. घर पर काम करने के दौरान सबसे ज्यादा असर कमर, पीठ, घुटने और हाथों पर पड़ता है. ऐसे में इन अंगों को आराम देने के लिए कुछ खास योग बहुत जरूरी हैं. आइए जानते हैं कौन से हैं वो योग. सभी योग को करने के अंत में कपालभाति का अभ्यास करें और ओम शब्द का उच्चारण जरूर करें.
ताड़ासन

 ताड़ासन संस्कृत के दो शब्द ताड़ अर्थात पर्वत और आसन अर्थात बैठने की मुद्रा को मिलाकर बना है. इस योग को करने से लंबाई बढ़ती है. साथ ही पाचन तंत्र मजबूत होता है, शरीर में रक्त संचार सही से होता है, घुटनों, टखनों और भुजाओं में मजबूती आती है. ये एक सरल आसन है, जिसे करना बेहद आसान है. स्वास्थ्य की दृष्टि से ताड़ासन बहुत ही लाभकारी योग है.

कैसे करें ताड़ासनइसके लिए सबसे पहले स्वच्छ स्थान पर एक मैट बिछाएं. अब सूर्य की तरफ मुखकर सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाएं. इसके बाद दोनों हाथों को हवा में लहराते हुए ऊपर ले जाएं, और एक साथ जोड़ें. फिर दोनों हाथों को जोड़कर अपने मस्तिष्क पर लाकर रखें. इस क्रम में ध्यान रखें कि आप घुटनों को हवा में लहराते हुए पंजों पर खड़े हो जाएं, और पैरों की एड़ियां एक दूसरी से मिली रहे. इसके बाद एक बार फिर हाथों को मस्तिष्क से उठाकर ऊपर ले जाएं और फिर हवा में लहराते हुए सावधान की मुद्रा में आ जाएं. कुछ पल इस मुद्रा में रहने के बाद इसे बारी-बारी से दोहराएं. जब भी आप इस योग को करें तो सांस लेने की प्रकिया नॉर्मल रखें. रोजाना ताड़ासन को कम से कम 10 बार जरूर करें.
ताड़ासन के फायदे
-कब्ज में लाभकारी
-लंबाई बढ़ाने में फायदेमंद
-सांस संबंधी बीमारियों को रखता है दूर

ग्रीवा शक्ति आसन

 इस योग क्रिया को करने के लिए अपनी जगह पर खड़े हो जाएं. जो लोग खड़े होकर इस क्रिया को करने में असमर्थ हैं वे इसे बैठकर भी कर सकते हैं. जो जमीन पर नहीं बैठ सकते वे कुर्सी पर बैठकर भी इसका अभ्यास कर सकते हैं. कंफर्टेबल पोजीशन में खड़े होकर हाथों को कमर पर टिकाएं. शरीर को ढीला रखें. कंधों को पूरी तरह से रिलैक्स रखें. सांस छोड़ते हुए गर्दन को आगे की ओर लेकर आएं. चिन को लॉक करने की कोशिश करें. जिन लोगों को सर्वाइकल या गर्दन में दर्द की समस्या हो वह गर्दन को ढीला छोड़ें चिन लॉक न करें. इसके बाद सांस भरते हुए गर्दन को पीछे की ओर लेकर जाएं.

सांस छोड़ते हुए फिर गर्दन को आगे की ओर लेकर जाएं. इसके बाद शरीर को पूरी तरह से ढीला छोड़ दें. इस क्रिया को 8 से 10 बार करें. इसके बाद दूसरी क्रिया करनी है. सांस छोड़ते हुए दाईं ओर गर्दन को झुकाएं. सांस भरते हुए सेंटर में गर्दन लेकर आएं. फिर सांस छोड़ते हुए बाईं ओर गर्दन लेकर जाएं और सांस भरते हुए सेंटर में गर्दन ले आएं. इसके बाद शरीर को ढीला छोड़ दें. गदर्न के दर्द को कम करने, शरीर और माइंड को रिलैक्स करने के लिए ये क्रिया बेस्ट है.


वज्रासन

 बहुत हेवी डाइट के बाद तुरंत सोने या बैठकर टीवी देखने से डाइजेशन संबंधी समस्याएं हो जाती हैं. ऐसे में अगर आप रोज खाने के बाद टीवी देखने या तुरंत सोने के बजाय वज्रासन को अपने रूटीन में शामिल करेंगे तो यकीनन आप डाइजेशन से संबंधित समस्याओं से दूर रहेंगे. वज्रासन को आप दिन में कभी भी कर सकते हैं लेकिन यह अकेला ऐसा आसन है जो खाने के तुरंत बाद बहुत अधिक प्रभावी होता है. यह न सिर्फ पाचन की प्रक्रिया ठीक रखता है बल्कि लोअर बैकपेन से भी आराम दिलाता है.

वज्रासन करने का तरीका

 – इस आसन को करने के लिए घुटनों को मोड़कर पंजों के बल सीधा बैठें.

 – दोनों पैरों के अंगूठे आपस में मिलने चाहिए और एड़ियों में थोड़ी दूरी होनी चाहिए.

 – शरीर का सारा भार पैरों पर रखें और दोनों हाथों को जांघों पर रखें.

 – आपकी कमर से ऊपर का हिस्सा बिल्कुल सीधा होना चाहिए. थोड़ी देर इस अवस्था में बैठकर लंबी सांस लें.

 -जिन लोगों को जोड़ों में दर्द हो या गठिया की दिक्कत हो वे इस आसन को न करें

वज्रासन के फायदे

 वज्रासन के दौरान शरीर के मध्य भाग पर सबसे अधिक दबाव पड़ता है. इस दौरान पेट और आंतों पर हल्का दबाव पड़ता है जिससे कांस्टिपेशन की दिक्कत दूर होती है और पाचन ठीक रहता है. वज्रासन की मुद्रा में कमर और पैरों की मांसपेशियों का तनाव दूर होता है और ज्वाइंट्स खुलते हैं. अधिक चलने या देर तक खड़े होने के बाद इस आसन की मदद से आराम महसूस होगा.

जानु शीर्षासन

 जानु शीर्षासन असल में संस्कृत भाषा का शब्द है. ये शब्द तीन शब्दों से मिलकर बना है. पहले शब्द जानु का अर्थ घुटना होता है. दूसरे शब्द शीर्ष का अर्थ सिर होता है. वहीं तीसरे शब्द आसन का अर्थ, बैठने, लेटने या खड़े होने की मुद्रा, स्थिति या पोश्चर से है.
Yoga For Slim Body And Figure -

जानु शीर्षासन के फायदे

 -मजबूत बनाता है और स्ट्रेच करता है.

 -शरीर के कई अंगों को स्टिम्युलेट करता है.

 -पाचन सुधारता है.

 -दिमाग को शांत करता है और एंग्जाइटी लेवल को कम करता है.

 -लोअर बैक और स्पाइन का लचीलापन सुधारता है.

मर्कट आसन

 मर्कट का अर्थ बंदर होता है, इसलिए इस आसन को बंदर आसन भी कहा जाता है. ये आसन करते समय शरीर का आकार बंदर जैसा हो जाता है. यह आसन कमर दर्द और पेट की चर्बी घटाने के लिए काफी लाभकारी होता है. इसे करने से शरीर का लचीलापन बढ़ता है, हाथ-पैरों और कमर का दर्द और मोटापा कम होता है.

ऐसे करें अभ्यास

 पहले पीठ के बल लेटकर दोनों हाथों को कमर से नीचे रखें. दोनों पैरों को जोड़कर घुटनों से मोड़ लें. अब कमर से नीचे के हिस्से को ट्विस्ट करते हुए पैरों को एक बार दाईं तरफ बगल में जमीन पर टिका दें. इस अवस्था में सिर को उसकी उलटी दिशा में रखते हैं. इस आसन को 10 से 20 सेकंड से शुरू करते हुए टाइमिंग बढ़ानी है. जमीन पर सीधे लेट जाएं. दोनों पैरों के बीच फासला रखें और और उन्हें घुटनों से मोड़ लें. अब बायां घुटना बगल में जमीन पर टिका दें और दायां घुटना बायें पैर के अंगूठे पर रख दें. इस अवस्था में सिर को विपरीत दिशा में घुमाकर रखें. जमीन पर सीधे लेट जाएं. दाहिने पैर को कमर से सीधा उठाते हुए बायीं तरफ जहां तक हो सके लेकर जाएं. इसे करने की आदर्श स्थिति में दाहिने पैर से बायें हाथ को जमीन पर रखते हुए छूना है. इसी तरह दूसरे पैर से भी करना है. इस आसन को करते समय गर्दन विपरीत दिशा में रखनी है.

मर्कट आसन के फायदे

 मर्कट आसन करने से पीठ के दर्द में राहत मिलती है और रीड की हड्डियों का रोग दूर होता है. सर्वाइकल, पेट दर्द, गैस, कमर दर्द, अपाचन, कूल्हों के दर्द, अनिद्रा थकान में मर्कट आसन बहुत ही लाभदायक है. इसके साथ ही मर्कट आसन करने से किडनी, अग्नाशय और लीवर सक्रिय हो जाते हैं.

त्रिकोणासन
त्रिकोणासन के अभ्यास में शरीर के कई अंग शामिल होते हैं जिससे उन्हें अच्छे से स्ट्रेच किया जा सकता है. हिप्स, कमर, बाजू, कंधे, हैम्स्ट्रिंग, काव्स, पैर और फोरआर्म्स की मसल्स इस आसन के अभ्यास के दौरान काम करती हैं. यह योग मुद्रा आपके बॉडी पोस्चर को बेहतर करने में मदद करता है. यह आसन मांसपेशियों को फैलाने और नियमित शारीरिक फंक्शन में सुधार करने के लिए जाना जाता है.

त्रिकोणासन के फायदे

 -पैरों, घुटनों, एड़ी यानी एंकल्स, बाजुओं और सीने को मजबूत करने में मदद करता है.

 -इस आसन की मदद से कूल्हों, हैमस्ट्रिंग, काव्स, कंधों, सीने और रीढ़ को स्ट्रेच करता है और इन्हें खोलता है.

 -मानसिक और शारीरिक संतुलन को बढ़ाता है.

 -पाचन में सुधार करने में मदद करता है.

 -चिंता, तनाव, पीठ दर्द को कम करता है.

 -अगर इसका अभ्यास सही तरीके से किया जाए तो यह कंधों के अलाइनमेंट को सही रखता है और इन्हें बेहतर शेप में लाने में मदद करता है.

 -नियमित रूप से त्रिकोणासन का अभ्यास गर्दन के दर्द से आराम दिलाने में मदद कर सकता है.