प्रधानमंत्री ने राम जन्मभूमि पर लगाया पारिजात का पौधा, जानिए आखिर ये पौधा इतना महत्वपूर्ण क्यों है

By Tatkaal Khabar / 05-08-2020 03:11:43 am | 15155 Views | 0 Comments
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आखिरकार वह घड़ी आ ही गई है, जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का भूमि पूजन कर रहे हैं. खास बात यह है कि इस दौरान श्रीराम जन्मभूमि परिसर में पारिजात का पौधा भी लगाया गया है. शायद बहुत कम लोगों को इस पौधे की जानकारी होगी. आइए आपको बताते हैं कि आखिर पारिजात का पौधा क्या है, इस पौधे का महत्व और खासियत क्या है, जो इसे भूमि पूजन समारोह का हिस्सा बनाया गया है.Ram Mandir Bhumi Pujan      नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर का भूमिपूजन कर मंदिर की आधारशिला रख दी है। इस दौरान पीएम मोदी ने राम जन्मभूमि पर पारिजात का पौधा भी लगाया। ऐसे में सभी के मन में पारिजात के पौधे का महत्व जानने की इच्छा जरूर होगी। कहा जाता है कि पारिजात पौधे को देवराज इंद्र ने स्वर्ग में लगाया था इसके फूल सफेद रंग के और छोटे होते हैं। ये फूल रात में खिलते हैं और सुबह पेड़ से स्वत: ही झड़ जाते हैं। यह फूल पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प है।Ram Mandir Bhumi Pujan PM Modi plants Parijat plant at Ayodhya इस पौधे को लेकर कई हिन्दू मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि धन की देवी लक्ष्मी को पारिजात के फूल अत्यंत प्रिय हैं। पूजा-पाठ के दौरान मां लक्ष्मी को ये फूल चढ़ाने से वो प्रसन्न होती हैं। खास बात ये है कि पूजा-पाठ में पारिजात के वे ही फूल इस्तेमाल किए जाते हैं जो वृक्ष से टूटकर गिर जाते हैं।पारिजात के बारे में कहा जाता है कि इसे कान्हा स्वर्ग से धरती पर लाए और गुजरात राज्य के द्वारका में लगाया था। इसके बाद अर्जुन द्वारका से पूरा का पूरा पारिजात पौधा ही उठा लाए। यह पौधा 10 से 30 फीट तक की ऊंचाई वाला होता है। खासतौर से हिमालय की तराई में पारिजात ज्यादा संख्या में मिलते हैं। इसके फूल, पत्तों और तने की छाल का इस्तेमाल औषधि निर्माण में होता है।यह है धार्मिक मान्यताएंहिंदू धर्म में पारिजात को लेकर समुद्र मंथन की कथा प्रचलित है। इसके अनुसार यह मंथन से उत्पन्ना हुआ है और द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण, देवी सत्यभामा के लिए इसे स्वर्ग से धरती पर लाए थे। कहा जाता है कि देवताओं के राजा इंद्र के इंद्रलोक की अप्सरा उर्वशी की एक पेड़ को छूने भर से थकान मिट जाती थी और वो पेड़ यही पारिजात का था। कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी को पारिजात के फूल बेहद प्रिय हैं। पूजा के लिए पेड़ से गिरे हुए फूलों का उपयोग किया जाता है और पेड़ से नहीं तोड़े जाते। एक मान्यता यह भी है कि भगवान राम के वनवास के 14 सालों में माता सीता ने इसके फूलों से ही श्रृंगार किया था।