कुछ इस तरह से था 'प्रणब दा' का राजनीतिक सफर, इंदिरा गांधी सरकार में ही बन चुके थे वित्त मंत्री

By Tatkaal Khabar / 31-08-2020 02:34:10 am | 17212 Views | 0 Comments
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भारत के पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रणब मुखर्जी का निधन हो गया है। उन्होनें 84 वर्ष की उम्र में आरआर आर्मी अस्पताल में अंतिम सांस ली। प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसम्बर 1935, पश्चिम बंगाल में हुआ। वह भारत के तेरहवें राष्ट्रपति बने। 26 जनवरी 2019 को प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया

भारत के पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रणब मुखर्जी का निधन हो गया है। उन्होनें 84 वर्ष की उम्र में आरआर आर्मी अस्पताल में अंतिम सांस ली। प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसम्बर 1935, पश्चिम बंगाल में हुआ। वह भारत के तेरहवें राष्ट्रपति बने। 26 जनवरी 2019 को प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर प्रणब मुखर्जी के निधन पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति के महत्वपूर्ण योगदार को देश याद रखेगा. उनका सम्मान हर एक वर्ग में था।

प्रणब मुखर्जी का संसदीय कैरियर करीब पांच दशक पुराना है, जो 1969 में कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सदस्य के रूप में (उच्च सदन) से शुरू हुआ था। वे 1975, 1981, 1993 और 1999 में फिर से चुने गये। 1973 में वे औद्योगिक विकास विभाग के केंद्रीय उप मन्त्री के रूप में मन्त्रिमण्डल में शामिल हुए। 


वे सन 1982 से 1984 तक कई कैबिनेट पदों के लिए चुने जाते रहे और और सन् 1984 में भारत के वित्त मंत्री बने। सन 1984 में, यूरोमनी पत्रिका के एक सर्वेक्षण में उनका विश्व के सबसे अच्छे वित्त मंत्री के रूप में मूल्यांकन किया गया। उनका कार्यकाल भारत के अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के ऋण की 1.1 अरब अमरीकी डॉलर की आखिरी किस्त नहीं अदा कर पाने के लिए उल्लेखनीय रहा। 

वित्त मंत्री के रूप में प्रणव के कार्यकाल के दौरान डॉ मनमोहन सिंह भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर थे। वे इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव के बाद राजीव गांधी की समर्थक मण्डली के षड्यन्त्र के शिकार हुए जिसने इन्हें मन्त्रिमणडल में शामिल नहीं होने दिया। कुछ समय के लिए उन्हें कांग्रेस पार्टी से निकाल दिया गया। उस दौरान उन्होंने अपने राजनीतिक दल राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस का गठन किया, लेकिन सन 1989 में राजीव गान्धी के साथ समझौता होने के बाद उन्होंने अपने दल का कांग्रेस पार्टी में विलय कर दिया।

 प्रणब मुखर्जी का राजनीतिक कैरियर उस समय पुनर्जीवित हो उठा, जब पी.वी. नरसिंह राव ने पहले उन्हें योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में और बाद में एक केन्द्रीय कैबिनेट मन्त्री के तौर पर नियुक्त करने का फैसला किया।