पिछली सरकार के मुकाबले योगी सरकार 3 साल में ही दे चुकी ज्यादा नौकरियां
लखनऊ। आजादी के बाद से अब तक किसी भी सरकार के मुकाबले योगी सरकार ने युवाओं को सबसे अधिक सरकारी नौकरियां अपने तीन वर्षों के कार्यकाल में दी हैं। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग सहित सभी विभागीय भर्तियों में पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया अपनाई है। इसी का नतीजा है कि युवाओं को 3 लाख से अधिक नौकरियां मिली हैं। भर्तियों में अपनाई गई पारदर्शी प्रक्रिया से अभ्यर्थियों की विश्वसनीयता बढ़ी है।
सपा-बसपा शासनकाल में हुई सभी भर्तियां भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी। भर्तियों में भाई-भतीजावाद, वंशवाद, क्षेत्रवाद खूब चला और ज्यादातर भर्तियों को लेकर न्यायालयआत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोजगार अभियान के तहत 1.25 करोड़ से अधिक रोजगार उपलब्ध कराये गये हैं। 50 लाख से अधिक कामगारों को क्रियाशील औद्योगिक इकाइयों में रोजगार दिया गया। 11 से अधिक कामगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न औद्योगिक संस्थानों से एमओयू हस्ताक्षरित किया गया। अन्य राज्यों से वापस लौटे 2.57 लाख और आत्मनिर्भर ईसीजीएलएस योजना के तहत 4,31,571 कामगारों को रोजगार मिला
पिछली सरकार 5 वर्षों के मुकाबले योगी सरकार के 3 साल में आयोग ने की ज्यादा भर्तियां
पिछली सरकार के पूरे कार्यकाल में हुई उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की विभिन्न भर्तियों में लगभग 26,000 अभ्यर्थियों का चयन किया गया, जबकि वर्तमान सरकार ने 3 वर्षों में 26,103 अभ्यर्थियों का चयन किया है।
पूर्ववती सरकारों में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती रहीं भर्तियां
के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के पदाधिकारियों की मनमानी और भ्रष्ट कार्यशैली से संबंधित कई गम्भीर शिकायतें हुई, जिसकी जांच सीबीआई कर रही है। इतना ही नहीं आयोग की भर्तियों को लेकर विवाद किस कदर है, इसका अंदाजा सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में दाखिल मुकदमों की संख्या से लगाया जा सकता है। जानकारों की मानें तो हाई कोर्ट में लगभग 500 और सुप्रीम कोर्ट में 50 से अधिक मुकदमे लंबित हैं। कोर्ट ने कई नियुक्तियों को अवैध करार दिया है, जिन भर्तियों को लेकर आरोप लगे उनमें अधिकांश अनिल यादव के कार्यकाल की हैं।
मार्च 2017 से पूर्व की सरकारों के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग और उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग सहित विभिन्न विभागीय भर्तियों में अपनाई गई प्रक्रिया की विश्वसनीयता, पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा कटघरे में रही। सपा शासनकाल में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष आपराधिक इतिहास के व्यक्ति डा0 अनिल यादव को बनाया गया। साथ ही अयोग्य विभागीय अधिकारी रिजवानुर्रहमान को सचिव किया गया। इन दोनों ही अधिकारियों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पद से बर्खास्त किया। तत्कालीन सपा सरकार में अध्यक्ष और सदस्यों को मनमानी करने की पूरी आजादी थी। यही वजह थी कि डॉ. अनिल यादव के कार्यकाल में मनमाने फैसले लिए गए जो छात्र हितों के प्रतिकूल थे।
पारदर्शी तरीके से हो रही सारी भर्तियां
फिर से लोक सेवा आयोग की खोई हुई प्रतिष्ठा, विश्वसनीयता, पारदर्शिता और इन्टीग्रिटी पुनः स्थापित हो रही है। आयोग की विभिन्न परिक्षाओं के कई अभ्यर्थियों ने इस नई कार्य संस्कृति के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति आभार जताया है। साथ ही आयोग में समयबद्ध विज्ञापन, परीक्षा की स्कीम तथा परीक्षा परिणाम घोषित करने की कार्य संस्कृति बनी है। परीक्षा कैलेण्डर वर्ष के पूर्व जारी करने से अभ्यर्थियों को तैयारी करने का पर्याप्त समय मिल रहा है। अभ्यर्थियों की शिकायतों के निवारण के लिए नई व्यवस्था प्रारम्भ की गई है। लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रत्येक बुधवार को अभ्यर्थियों से मिलकर उनकी षिकायतों का निवारण कर रहे हैं।
पिछले 6 माह में योगी सरकार ने दिया 1.25 करोड़ लोगों को रोजगार
आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोजगार अभियान के तहत 1.25 करोड़ से अधिक रोजगार उपलब्ध कराये गये हैं। 50 लाख से अधिक कामगारों को क्रियाशील औद्योगिक इकाइयों में रोजगार दिया गया। 11 से अधिक कामगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न औद्योगिक संस्थानों से एमओयू हस्ताक्षरित किया गया। अन्य राज्यों से वापस लौटे 2.57 लाख और आत्मनिर्भर ईसीजीएलएस योजना के तहत 4,31,571 कामगारों को रोजगार मिला।
मनरेगा के अंतर्गत 24.45 करोड़ मानव दिवस सृजित कर 11 सितम्बर 2020 तक 94 लाख से अधिक मजूदरों को रोजगार देकर 4681.97 करोड़ रुपये से अधिक मानदेय का का भुगतान किया गया।
पिछले 6 माह में योगी सरकार ने दिया 1.25 करोड़ लोगों को रोजगार
आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोजगार अभियान के तहत 1.25 करोड़ से अधिक रोजगार उपलब्ध कराये गये हैं। 50 लाख से अधिक कामगारों को क्रियाशील औद्योगिक इकाइयों में रोजगार दिया गया। 11 लाख से अधिक कामगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न औद्योगिक संस्थानों से एमओयू हस्ताक्षरित किया गया। अन्य राज्यों से वापस लौटे 2.57 लाख और आत्मनिर्भर ईसीजीएलएस योजना के तहत 4,31,571 कामगारों को रोजगार मिला।
मनरेगा के अंतर्गत 24.45 करोड़ मानव दिवस सृजित कर 11 सितम्बर 2020 तक 94 लाख से अधिक मजूदरों को रोजगार देकर 4681.97 करोड़ रुपये से अधिक मानदेय का का भुगतान किया गया।