हाथरस गैंगरेप केस :योगी सरकार की बड़ी कार्रवाई : हाथरस के डीएम और एसएसपी हुए सस्पेंड

By Tatkaal Khabar / 02-10-2020 03:35:29 am | 14884 Views | 0 Comments
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हाथरस के दलित युवती से गैंगरेप मामले पर बड़ी कार्रवाई की गई है। हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार समेत कई अधिकारी सस्पेंड किए गए हैं। डीएम के साथ में एसपी विक्रामत वीर और डीएसपी को भी सस्पेंड किया गया है। हाथरस केस में सभी आरोपियों और पीड़ित परिवार के लोगों का नार्कों टेस्ट किया जाएगा।


हाथरस (Hathras Gangrape) में गैंगरेप और हत्या का मामला अब पूरी तरह सियासी रंग ले चुका है। इस मामले में शुरुआत से लेकर अभी तक प्रशासनिक लापरवाही भी सामने आई है। अब इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय ने सीधा हस्तक्षेप किया है और हाथरस (Hathras news) के डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार (Hathras DM) और एसपी विक्रांत वीर पर बड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक, पूरे मामले में डीएम और एसपी की भूमिका को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बेहद नाराज हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय ने पूरे मामले में दोनों अधिकारियों की भूमिका पर रिपोर्ट मांगी है। देर शाम तक दोनों अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया हैं। हाथरस के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार पर मृत लड़की के परिवार ने बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं।

डीएम पर लगे पीड़िता के पिता को धमकाने के आरोप
डीएम प्रवीण कुमार पर पीड़िता की भाभी ने आरोप लगाया था कि डीएम ने उनके ससुर (पीड़िता के पिता) से कहा है कि अगर तुम्हारी बेटी अभी कोरोना से मर जाती तो क्या तुमको मुआवजा मिल पाता? इसके अलावा सोशल मीडिया पर जिलाधिकारी और पीड़िता के पिता के बीच हुई बातचीत की एक फुटेज से भी प्रशासन पर गंभीर आरोप लगने लगे हैं। सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में डीएम पीड़िता के पिता से कह रहे हैं कि आप अपनी विश्वसनीयता खत्म मत करो। ये मीडिया वाले मैं आपको बता दूं, आधे आज चले गए और आधे कल चले जाएंगे। हम आपके साथ खड़े हैं, आपकी इच्छा है कि आपको बार बार बयान बदलना है कि नहीं बदलना है। अभी हम भी बदल जाएं।

पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर उठ रहे सवाल
इसके अलावा पीड़िता के रात में जल्दबाजी में किए गए अंतिम संस्कार को लेकर भी हाथरस प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं। पुलिस ने जिस तरह जल्दबाजी में रात के ढाई बजे पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार किया, वह उसकी भूमिका पर बड़े सवाल खड़े करता है। हालांकि एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने तर्क दिया था कि पीड़िता का शव खराब हो रहा था, इसलिए परिवारवालों की मर्जी से अंतिम संस्कार किया गया था।