भारत में ऐसे रहस्यमयी स्थान,जानकर हैरान रह जाएंगे आप

By Tatkaal Khabar / 12-12-2020 10:30:44 am | 16169 Views | 0 Comments
#


नई दिल्ली: भारत में ऐसे कई जगहें है, जहां की खूबसूरती पूरी दुनिया में प्रचलित है. इन प्रचलित जगहों की खूबसूरती के साथ ही वहां ऐसे कई राज भी हैं, जिन्हें जानने के लिए अक्सर लोग उत्सुक रहते हैं. ऋषि-मुनियों और अवतारों की भूमि 'भारत' एक रहस्यमयी देश है. यहां ऐसी कई कहानियां हैं, जिनके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे.

उत्तराखंड में एक ऐसा रहस्यमयी स्थान है, जिसे देवस्थान कहते हैं. इनका केंद्र हिमालय की वादियों में उत्तराखंड में स्थित है. इन दुर्गम क्षेत्रों में स्थूल-शरीरधारी साधारण व्यक्ति नहीं पहुंच सकता है.

जंगल तो भारत में बहुत सारे हैं लेकिन सुंदरवन का जंगल अपने भीतर कई तरह के रहस्यों को समेटे हुए है. इस जंगल में जिस शांति, रहस्य और रोमांच का अनुभव होता है, वह किसी अन्य जंगल में नहीं होता. कहते हैं कि इन जंगलों में बड़ी तादाद में भूत रहते हैं.
भारतीय इतिहास के ऐसे कई रहस्य अभी उजागर होना बाकी हैं, जो इतिहास में नहीं पढ़ाए जाते या कि जिनके बारे में इतिहासकारों में मतभेद हैं। दरअसल, भारत के इतिहास को फिर से लिखे जाने की आवश्यकता है, क्योंकि वर्तमान में पाठ्यपुस्तकों में जो इतिहास पढ़ाया जाता है वह या तो अधूरा है या वह सत्य से बहुत दूर है। 
भारतीय इतिहास की शुरुआत को सिंधु घाटी की सभ्यता या फिर बौद्धकाल से जोड़कर नहीं देखा जा सकता। कुछ इतिहासकार इसे सिकंदर के भारत आगमन से जोड़कर देखते हैं। आज जिसे हम भारतीय इतिहास का प्राचीनकाल कहते हैं, दरअसल वह मध्यकाल था और जिसे मध्यकाल कहते हैं वह राजपूत काल है। तब प्राचीन भारत के इतिहास को जानना जरूरी है। 
 
यदि हम मेहरगढ़ संस्कृति और सभ्यता की बात करें तो वह लगभग 7000 से 3300 ईसा पूर्व अस्तित्व में थी जबकि सिंधु घाटी सभ्यता 3300 से 1700 ईसा पूर्व अस्तित्व में थी। प्राचीन भारत के इतिहास की शुरुआत 1200 ईसापूर्व से 240 ईसा पूर्व के बीच नहीं हुई थी। यदि हम धार्मिक इतिहास के लाखों वर्ष प्राचीन इतिहास को न भी मानें तो संस्कृ‍त और कई प्राचीन भाषाओं के इतिहास के तथ्‍यों के अनुसार प्राचीन भारत के इतिहास की शुरुआत लगभग 13 हजार ईसापूर्व हुई थी अर्थात आज से 15 हजार वर्ष पूर्व।
 
 प्राचीन भारतीयों ने एक और जहां पिरामिडनुमा मंदिर बनाए तो दूसरी ओर स्तूपनुमा मंदिर बानकर दुनिया को चमत्कृत कर दिया। आज दुनियाभर के धर्म के प्रार्थना स्थल इसी शैली में बनते हैं। मिश्र के पिरामिडों के बाद हिन्दू मंदिरों को देखना सबसे अद्भुत माना जाता था। प्राचीनकाल के बाद मौर्य और गुप्त काल में मंदिरों को नए सिरे से बनाया गया और मध्यकाल में उनमें से अधिकतर मंदिरों का विध्वंस किया गया। माना जाता है कि किसी समय ताजमहल भी एक शिव मंदिर ही था। कुतुबमीनार विष्णु स्तंभ था। अयोध्या में महाभारतकाल का एक प्राचीन और भव्य मंदिर था जिसे तोड़ दिया गया।

मौर्य, गुप्त और विजयनगरम साम्राज्य के दौरान बने हिन्दू मंदिरों की स्थापत्य कला को देखकर हर कोई दांतों तले अंगुली दबाए बिना नहीं रह पाता। अजंता-एलोरा की गुफाएं हों या वहां का विष्णु मंदिर। कोणार्क का सूर्य मंदिर हो या जगन्नाथ मंदिर या कंबोडिया के अंकोरवाट का मंदिर हो या थाईलैंड के मंदिर... उक्त मंदिरों से पता चलता है कि प्राचीनकाल में खासकर महाभारतकाल में किस तरह के मंदिर बने होंगे। समुद्र में डूबी कृष्ण की द्वारिका के अवशेषों की जांच से पता चलता है कि आज से 5,000 वर्ष पहले भी मंदिर और महल इतने भव्य होते थे जितने कि मध्यकाल में बनाए गए थे।

रहस्यों से भरे मंदिर : ऐसे कई मंदिर हैं, जहां तहखानों में लाखों टन खजाना दबा हुआ है। उदाहरणार्थ केरल के श्रीपद्मनाभ स्वामी मंदिर के 7 तहखानों में लाखों टन सोना दबा हुआ है। उसके 6 तहखानों में से करीब 1 लाख करोड़ का खजाना तो निकाल लिया गया है, लेकिन 7वें तहखाने को खोलने पर राजपरिवार ने सुप्रीम कोर्ट से आदेश लेकर रोक लगा रखी है। आखिर ऐसा क्या है उस तहखाने में कि जिसे खोलने से वहां तबाही आने की आशंका जाहिर की जा रही है? कहते हैं उस तहखाने का दरवाजा किसी विशेष मंत्र से बंद है और वह उसी मंत्र से ही खुलेगा।
 
वृंदावन का एक मंदिर अपने आप ही खुलता और बंद हो जाता है। कहते हैं कि निधिवन परिसर में स्थापित रंगमहल में भगवान कृष्ण रात में शयन करते हैं। रंगमहल में आज भी प्रसाद के तौर पर माखन-मिश्री रोजाना रखा जाता है। सोने के लिए पलंग भी लगाया जाता है। सुबह जब आप इन बिस्तरों को देखें, तो साफ पता चलेगा कि रात में यहां जरूर कोई सोया था और प्रसाद भी ग्रहण कर चुका है। इतना ही नहीं, अंधेरा होते ही इस मंदिर के दरवाजे अपने आप बंद हो जाते हैं इसलिए मंदिर के पुजारी अंधेरा होने से पहले ही मंदिर में पलंग और प्रसाद की व्यवस्था कर देते हैं।
 
मान्यता के अनुसार यहां रात के समय कोई नहीं रहता है। इंसान छोड़िए, पशु-पक्षी भी नहीं। ऐसा बरसों से लोग देखते आए हैं, लेकिन रहस्य के पीछे का सच धार्मिक मान्यताओं के सामने छुप-सा गया है। यहां के लोगों का मानना है कि अगर कोई व्यक्ति इस परिसर में रात में रुक जाता है तो वह तमाम सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।
15 हजार वर्षों में भारत ने जहां एक और हिमयुग देखा है तो वहीं उसने जलप्रलय को भी झेला है। उस दौर में भारत में इतना उन्नत, विकसित और सभ्य समाज था जैसा कि आज देखने को मिलता है। इसके अलावा ऐसी कई प्राकृतिक आपदाओं का जिक्र और राजाओं की वंशावली का वर्णन है जिससे भारत के प्राचीन इतिहास की झलक मिलती है।