SC Order on POCSO Act : कपड़े के ऊपर से ब्रेस्ट छूना यौन अपराध नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले पर लगाई रोक

By Tatkaal Khabar / 27-01-2021 08:31:53 am | 20628 Views | 0 Comments
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  • देश की सर्वोच्च अदालत ने बॉम्बे हाई कोर्ट के एक विवादित फैसले पर रोक लगा दी
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने फैसला दिया था कि कपड़े के ऊपर से ब्रेस्ट छूना यौन हमला नहीं
  • हाई कोर्ट ने कहा था कि स्किन टु स्किन टच नहीं हो तो अपराध पॉक्सो ऐक्ट के दायरे में नहीं आता
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी थी जिसमें उसने एक नाबालिग लड़की के वक्षस्थल (ब्रेस्ट) को बिना स्किन टू स्किन टच के छूने के अपराध को पॉक्सो ऐक्ट के दायरे से बाहर बताया था। यूथ बार असोसिएशन में बॉम्बे हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाDelhi High Court acquits POCSO case convict says evidences insufficient -  India Legalफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाई कोर्ट के इस फैसले पर विवाद छिड़ गया था। नागरिक संगठनों एवं कई जानी-मानी हस्तियों ने इसे हास्यास्पद बताकर फैसले की आलोचना की थी।

नाबालिग से हुआ था अपराध
बॉम्बे हाई कोर्ट ने 12 वर्ष की एक नाबालिग के साथ हुए इस अपराध के मुकदमे की सुनवाई में कहा था कि बच्ची को निर्वस्त्र किए बिना, उसके वक्षस्थल (ब्रेस्ट) को छूना यौन हमला (Sexual Assault) नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस तरह की हरकत पॉक्सो ऐक्ट के तहत यौन हमले के रूप में परिभाषित नहीं की जा सकती। हालांकि ऐसे आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 (शीलभंग) के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए।

त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं तो...
हाई कोर्ट की नागपुर बेंच की न्यायमूर्ति पुष्पा गनेडीवाला ने 19 जनवरी को पारित एक आदेश में कहा कि किसी हरकत को यौन हमला माने जाने के लिए ‘गंदी मंशा से त्वचा से त्वचा (स्किन टू स्किन) का संपर्क होना’ जरूरी है। उन्होंने अपने फैसले में कहा कि महज छूना भर यौन हमले की परिभाषा में नहीं आता है। न्यायमूर्ति गनेडीवाला ने एक सेशन्स कोर्ट के फैसले में संशोधन किया जिसने 12 वर्षीय लड़की का यौन उत्पीड़न करने के लिए 39 वर्षीय व्यक्ति को तीन वर्ष कारावास की सजा सुनाई थी।

कोर्ट ने कहा, यौन हमले के लिए शारीरिक संपर्क जरूरी
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यौन हमले की परिभाषा में शारीरिक संपर्क प्रत्यक्ष होना चाहिए या सीधा शारीरिक संपर्क होना चाहिए। कोर्ट ने कहा, ‘स्पष्ट रूप से अभियोजन की बात सही नहीं है कि आवेदक ने उसका टॉप हटाया और उसका ब्रेस्ट छुआ। इस तरह बिना संभोग के यौन मंशा से सीधा शारीरिक संपर्क नहीं हुआ।’