रामनवमी का महत्व, पूजा का शुभ मूहर्त, पूजन विधि

By Tatkaal Khabar / 20-04-2021 03:39:55 am | 39510 Views | 0 Comments
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मान्यता है कि भगवान श्रीराम का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था। इसीलिए इस दिन तीसरे प्रहर तक व्रत रखा जाता है और दोपहर में मनाया जाता है श्रीराम महोत्सव। इस दिन व्रत रखकर भगवान श्रीराम और रामचरितमानस की पूजा करनी चाहिए। इस दिन जो श्रद्धालु दिनभर उपवास रखकर भगवान श्रीराम की पूजा करते हैं तथा अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार दान−पुण्य करते हैं वह अनेक जन्मों के पापों को भस्म करने में समर्थ होते हैं। Ram Navami 2021 Date Shubh Muhurat Puja Timing Puja Vidhi And Importance Of  Navmi Tithi - Ram Navami 2021 Date             इस दिन पुण्य सलिला सरयू नदी में स्नान करके लोग पुण्य लाभ कमाते हैं। भगवान श्रीराम के जन्म स्थान अयोध्या में इस त्यौहार की विशेष धूम रहती है। अयोध्या का रामनवमी पर लगने वाला चैत्र रामनवमी मेला काफी प्रसिद्ध है जिसमें देश भर से लाखों श्रद्धालु जुटते हैं। हालांकि इस बार कोरोना संक्रमण के चलते यह मेला नहीं आयोजित किया जा रहा है।रामनवमी की पूजा कैसे करें ?पंचांग के अनुसार, साल 2021 में रामनवमी पर पूजा मुहूर्त 21 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 2 मिनट से दोपहर 1 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। यानि पूजा की कुल अवधि 2 घंटे 36 मिनट रहेगी। रामनवमी के दिन व्रत रखने वालों को चाहिए कि वह प्रातः जल्दी उठ कर नित्यकर्म से निवृत्त होकर भगवान श्रीराम की मूर्ति को शुद्ध पवित्र ताजे जल से स्नान कराकर नये वस्त्राभूषणों से सज्जित करें और फिर धूप दीप, आरती, पुष्प, पीला चंदन आदि अर्पित करते हुए भगवान की पूजा करें। रामायण में वर्णित श्रीराम जन्म कथा का श्रद्धा भक्ति पूर्वक पाठ और श्रवण तो इस दिन किया ही जाता है अनेक भक्त रामायण का अखण्ड पाठ भी करते हैं। भगवान श्रीराम को दूध, दही, घी, शहद, चीनी मिलाकर बनाया गया पंचामृत तथा भोग अर्पित किया जाता है। भगवान श्रीराम का भजन, पूजन, कीर्तन आदि करने के बाद प्रसाद को पंचामृत सहित श्रद्धालुओं में वितरित करने के बाद व्रत खोलने का विधान है। रामनवमी के दिन मंदिर में अथवा मकान पर ध्वजा, पताका, तोरण और बंदनवार आदि से सजाने का विशेष विधान है।