औषधीय खेती में भी बुलंदियां छूने में तेजी से आगे बढ़ा ‘बुंदेलखंड’
किसानों के हित में लगातार प्रयास करने में जुटी उत्तर प्रदेश सरकार औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा दे रही है। गांवों में नर्सरी की स्थापना के साथ फसलों को रोपने का काम तेजी से चल रहा है। यूपी का बुंदेलखंड क्षेत्र औषधीय खेती में भी बुलंदिया छूने में जुटा है। यहां के किसानों में तुलसी, एलोवेरा, अश्वगंधा, ब्राह्मी, सतावर, वच, आर्टिमिसिया, कौंच, कालमेघ एवं सर्पगंधा के पौधों के प्रति रुझान बढ़ा है।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालते ही किसानों को फसल विविधता का विकल्प दिया। इस प्रयास से किसानों की आमदनी बढ़ी और उनके जीवन में खुशियां लौटीं। इस कार्य को साकार रूप देने के लिये उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्कारण विभाग की राष्ट्रीय औषधीय पौध मिशन योजना बड़ी कारगर सिद्ध हुई। राज्य सरकार की यह योजना प्रदेश में वर्ष वर्ष 2009-10 से संचालित थी। पर, योगी सरकार में इसको विस्तार मिला। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से औषधीय खेती करने के लिये किसानों की संख्या पिछली सरकारों की तुलना में काफी बढ़ गई।
राज्य आयुष सोसाइटी को औषधीय खेती करने वाले किसानों को लाभ दिलाने के कार्य में लगाया गया। किसानों में औषधीय खेती के प्रति रुझान बढ़ाने के लिये उनको प्रति हैक्टेयर अनुदान देने की भी व्यवस्था की गई। राज्य सरकार की ओर से लगातार किये गये प्रयासों से प्रदेश में औषधीय खेती को 9705 हैक्टेयर तक बढ़ाकर 15000 से अधिक किसानों को लाभ पहुंचाने का काम किया। बाजार में औषधीय फसलों की मांग बढ़ी और इसकी खेती करने वाले किसानों को फायदा भी हुआ।
राज्य आयुष मिशन के नोडल अधिकारी और उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्कारण विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. वीबी द्विवेदी ने बताया कि सरकार की मंशा के अनुरूप औषधीय खेती को बढ़ावा देने के लिये विभाग पूरा प्रयास कर रहा है। उन्होंने बताया कि बुंदेलखंड के साथ देवीपाटन मण्डल, लखनऊ मण्डल, मेरठ मण्डल में किसानों में औषधीय पौधों की खेती करने लगे हैं। उन्होंने बताया कि मिर्जापुर और जालौन में औषधीय खेती करने वाले किसानों के उत्पाद विदेशों में भी अपनी पहचान बना रहे हैं। गोरखपुर में सतावरी की खेती बड़ी संख्या में किसानों ने अपनाई है। योजना से किसान खुद को स्वस्थ रखने के साथ आत्मनिर्भर बने है और उनकी आमदनी में दुगनी वृद्धि हो रही है।