मेष संक्रांति पर स्नान-दान करने से मिलेगा अक्षय पुण्य, जानें पुण्य काल का शुभ मुहूर्त
14 अप्रैल को मेष संक्रांति मनाई जाएगी. ये हिंदू नववर्ष की पहली संक्रांति है. जो गुरुवार के दिन मनाई जा रही है. इसी दिन सूर्य की चाल में बदलाव आता है. अभी तक सूर्य ग्रह मीन राशि में गोचर कर रहे थे लेकिन अब ये अपनी उच्च राशि मेष में प्रवेश करेंगे. यही कारण है इस संक्रांति को मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है. इसका दूसरा नाम विषुव संक्रांति भी कहते हैं. मकर संक्रांति से ही हर मंगल और शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है. ऐसे में इसके महत्व और क्या करें मेष संक्रांति पर इसके बारे में पता होना जरूरी है. आज हमारा लेख इसी विषय पर है. आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि मेष राशि पर क्या करना चाहिए और इसका महत्व क्या है. पढ़ते हैं आगे…
मेष संक्रांति का महत्व
हिंदू धर्म में यह संक्रांति बेहद महत्वपूर्ण संक्रांतियों में से एक है. इसी दिन से सभी मांगलिक और शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है. इसके अलावा पवित्र नदियों में नहाने और दान का महत्व ज्यादा होता है.
क्या करें मेष संक्रांति पर
मेष संक्रांति पर सबसे पहले धर्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करें.
उसके बाद सूर्य भगवान को जल चढ़ाएं.
जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करें. साथ ही उसमें चावल, लाल चंदन और फूल डालकर जल अर्पण करें.
उसके बाद दान आदि करने के लिए सूर्य भगवान को जल अर्पण करते वक्त संकल्प लें.
मेष संक्रांति पर मुख्य तौर पर खान-पान की चीजों को दान करना चाहिए. इससे अलग जूते चप्पल, कपड़े, गौशाला में दान आदि करने से भी लाभ होता है.
आप चाहे तो गेहूं, लाल कपड़ा, तांबे के बर्तन आदि भी दान कर सकते हैं.
मेष संक्रांति पर 7 घंटे का पुण्य काल है. इस दौरान स्नानादि कर भगवान सूर्य की विशेष पूजा करनी चाहिए. यह पुण्य काल सूर्योदय से शुरू होकर दोपहर 1:05 तक रहेगा.