Guru Purnima 2022 : इस दिन मनाया जाएगा गुरु पूर्णिमा पर्व, जानिए इसका महत्व...
हिन्दू धर्म में गुरु को ईश्वर से भी श्रेष्ठ माना जाता है। क्योंकि गुरु ही हैं जो इस संसार रूपी भव सागर को पार करने में सहायता करते हैं।
आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में देश भर में मनाया जाता है। यह उत्सव गुरु के प्रति सम्मान और कृतज्ञता को दर्शाता है। इस साल यह पर्व 13 जुलाई को मनाया जाएगा। इस गुरु पूर्णिमा पर मालव्य योग बन रहा है। जो कि अति विशिष्ठ है। बताया कि यह महर्षि व्यास का जन्मोत्सव भी है। सनातन परंपरा में गुरु को ईश्वर से भी ऊंचा स्थान दिया गया है। आइए जानते हैं सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा का क्या महत्व है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, गुरु पूर्णिमा पर गुरु की पूजा-आराधना की जाती है। गुरु का जीवन में बहुत महत्व होता है। गुरु शिष्य के जीवन में व्याप्त अंधकार को मिटाकर प्रकाश फैलाते हैं। देश में गुरु पूर्णिमा का बहुत ही महत्व है। गुरु पूर्णिमा को लोग बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाते हैं। भारत ऋषियों और मुनियों का देश है जहां पर इनकी उतनी ही पूजा होती है जितना भगवान की। महर्षि वेद व्यास प्रथम विद्वान थे, जिन्होंने सनातन धर्म के चारों वेदों की व्याख्या की थी। साथ ही सिख धर्म केवल एक ईश्वर और अपने दस गुरुओं की वाणी को ही जीवन का वास्तविक सत्य मानता आ रहा है।
गुरु पूर्णिमा महाकाव्य महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। वेदव्यास संस्कृत के महान ज्ञाता थे। सभी 18 पुराणों का रचयिता भी महर्षि वेदव्यास को माना जाता है। वेदों को विभाजित करने का श्रेय भी वेद व्यास को दिया जाता है। इसी कारण इनका नाम वेदव्यास पड़ा था। इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।