बिना वजह सिजेरियन ऑपरेशन करने वालों डॉक्टरों के नाम बताकर किया जाए शर्मिंदा: मेनका गांधी

By Tatkaal Khabar / 23-02-2017 03:28:23 am | 13869 Views | 0 Comments
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केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने अस्पतालों में सिजेरियन ऑपरेशन की संख्या में लगातार हो रही वृद्धि को देखेते हुए बुधवार को कहा कि बगैर किसी ठोस मेडिकल वजह के सिजेरियन ऑपरेशन करने वाले उन सभी डॉक्टरों के नाम जारी कर उन्हें शर्मिंदा करना चाहिए। मेनका ने इस मुद्दे पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा को भी चिट्ठी लिखी है। मालूम हो कि अस्पतालों में सिजेरियन ऑपरेशन की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। चिकित्सकों पर ऐसे आरोप लग रहे हैं कि वे पैसा कमाने के लिए जानबूझकर सिजेरियन ऑपरेशन की सलाह देते हैं। मेनका ने नड्डा से अनुरोध किया है कि वह अस्पतालों के लिए यह अनिवार्य बनाएं कि वे सिजेरियन ऑपरेशन यानी सी-सेक्शन के जरिए पैदा होने वाले बच्चों के जन्मदर की जानकारी दें। प्राकृतिक तरीके से बच्चे पैदा होने देने की बजाय सर्जरी से बच्चे पैदा करने की तरफ महिलाओं को धकेल कर लाभ कमाने वाले अस्पतालों और डॉक्टरों के खिलाफ 'चेंज डॉट ओआरजी' की एक अर्जी के जवाब में मेनका ने यह बात कही। इस अर्जी पर अब तक 1.3 लाख लोग दस्तखत कर चुके हैं। मेनका ने नड्डा को लिखी एक चिट्ठी में कहा, 'इस समस्या से निपटने के लिए हमें शायद कई तरीकों की जरूरत होगी। एक तो यह हो सकता है कि नर्सिंग होम और अस्पताल से कहा जाए कि वे हर महीने किए गए सी-सेक्शन डिलीवरी और सामान्य डिलीवरी की संख्या सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शित करें। चिट्ठी के मुताबिक, 'हम ऐसे स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों का नाम लेकर उन्हें शर्मिंदा करना चाहेंगे जो बगैर किसी ठोस कारण के सिर्फ धन के लिए सिजेरियन डिलीवरी कराते हैं। मैं चाहूंगी कि भारत की सभी महिलाएं एक साथ आएं और विरोध करना शुरू करें क्योंकि किसी महिला के लिए सिजेरियनव बहुत तकलीफदेह होता है और यह प्राकृतिक डिलीवरी को गैर-जरुरी ऑपरेशन में बदल देता है।' 'चेंज डॉट ओआरजी' पर याचिका शुरू करने वाली सुभर्णा घोष ने कहा कि यदि अस्पताल अनिवार्य तौर पर सिजेरियन ऑपरेशनों की दर प्रदर्शित करे तो इससे महिलाओं को सूचना से लैस विकल्प अपनाने में मदद मिलेगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि देश में हर साल होने वाली डिलीवरी में सिर्फ 15 प्रतिशत केस में सिजेरियन ऑपरेशन होना चाहिए। वहीं, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्विस के मुताबिक, 2015-16 में निजी और सरकारी दोनों अस्पतालों के आंकड़े के मुताबिक तेलंगाना में सबसे अधिक 58 प्रतिशत जन्म सिजेरियन से हुआ था। दूसरे स्थान पर तमिलनाडु था जहां 34.1 प्रतिशत बच्चों का जन्म सिजेरियन के जरिए हुआ था।