माघ मास में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम तट पर होता है मिनी कुंभ...
प्रयागराज में 6 या 12 साल में कुंभ या महाकुंभ मेला लगने के बारे में तो आप सभी जानते होंगे लेकिन इसी पावन नगरी में हर साल एक और मेला लगता है। माघ मास में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम तट पर हर साल लगने वाले इस मेले को लोग मिनी कुंभ के नाम से जानते हैं।
जब पृथ्वी पर उतर आते हैं देवता
पौराणिक परंपरा के अनुसार प्रयागराज में सभी तीर्थ निवास करते हैं और यह स्थान तीर्थों का राजा है। ऐसे में सभी देवतागण माघ मास में अपने तीर्थ के राजा से मिलने के लिए इस पावन धरती पर उतरकर आते हैं। ऐसे में तमाम देवों और पूज्य साधु-संतों की उपस्थिति में मोक्ष की कामना लिए श्रद्धालु दूरदूर से यहां पर एक मास तक कठिन साधना करते हुए कल्पवास करते हैं।
कल्पवास की अवधि
कल्पवास पौष की पूर्णिमा से लेकर माघ की पूर्णिमा तक अथवा मकर संक्रांति से लेकर कुंभ संक्रांति तक किया जाता है। जो लोग लंबे समय तक यहां ठहर कर कल्पवास नहीं कर सकते हैं उनके लिए भी एक अलग विधान है। जिसके तहत कोई भी व्यक्ति यहां पर एक रात्रि, तीन रात्रि तक यहां साधना-आराधना करके कल्पवास का फल प्राप्त कर सकता है।
कल्पवास के नियम
कल्पवास के दौरान श्रद्धालुओं को तमाम तरह के नियम संयम का पालन करना पड़ता है। जैसे दिन में दो बार स्नान, एक बार भोजन और एक बार फलहार करना होता है। इस दौरान उसे भूमि में शयन करना होता है। मान्यता है कि जो साधक यहां पर नियमपूर्वक कल्पवास करता है, वह जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है। कल्पवास के दौरान श्रद्धालु अपनी दैहिक-दैविक एवं भौतिक ताप को दूर करने का प्रयास करता नजर आता है। संतों और मनीषियों के सान्निध्य में यहां आठों पहर ज्ञान और भक्ति की रसधारा बहती है।