बुधवार को गणेश जी की पूजा के पांच नियम
गणेश जी की पूजा के लिए बुधवार का दिन विशेष माना गया है। इस दिन बुध ग्रह की शांति के लिए भी पूजा-अर्चना की जाती है। यदि व्यक्ति की कुण्डली में बुध ग्रह अशुभ स्थिति में है तो बुधवार को पूजा करने से उसके दोष का निवारण हो सकता है। इसके साथ ही माना जाता है कि गणेश जी की पूजा करने से शनि जैसे कठिन ग्रह सहित सभी ग्रहों के दोष दूर हो सकते हैं। कहते हें कि प्रत्येक बुधवार को गणेश उपासना करने से व्यक्ति का सुख-सौभाग्य बढ़ता है, और जीवन की सभी रुकावटें दूर होती हैं। इस दिन गणपति की पूजा में इन पांच चरणों का अनिवार्य रूप से पालन करें।
प्रथम चरण
सर्वप्रथम प्रात: काल स्नान आदि करके गणेश प्रतिमा, यदि संभव हो तो किसी धातु की प्रतिमा का चयन करें, को मिट्टी और नींबू से अच्छे से साफ करके पूजा स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा की और मुख करके लाल रंग के आसान पर स्थापित करें।
द्वितीय चरण
इसके पश्चात शुद्ध आसन पर स्वयं भगवान के सम्मुख मुख करके बैठे, और गणेश जी का ध्यान करते हुए उन्हें पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौलि, लाल चंदन और मोदक आदि पूजन सामग्री समर्पित करें।
तृतीय चरण
गणेश्ा जी पर तुलसी दल और तुलसी पत्र नहीं चढ़ाया जाता इसलिए उन्हें किसी शुद्ध स्थान से चुनी हुई दुर्वा धोकर चढ़ायें और लाल पुष्प, पान का पत्ता अर्पित करें।
चतुर्थ चरण
ध्यान रहे गणेश जी की पूजा करते समय किसी प्रकार का क्रोध न करें। उन्हें पंचामृत अर्पित करें और आरती करें।
पचंम चरण
अंत में श्री गणेश का स्मरण कर ‘ऊं गं गणपतये नम:’ मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए। प्रत्येक बुधवार को इन पांच पायदानों से गुजरते हुए पूजा करने से मनुष्य को निश्चित शुभ लाभ और समृद्धि प्राप्त होगी।