कश्मीर का पहला आतंकी मुक्त जिला बना बारामूला
जम्मू और कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा है कि बारामूला कश्मीर का पहला ऐसा जिला है, जो आतंकवादी मुक्त हो गया है। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खात्मे में सरकार को बड़ी सफलता मिली है, जम्मू-कश्मीर का बारामूला जिला पूरी तरह से आतंकवादी मुक्त हो गया है। अलगाववादियों और आतंकियों का गढ़ कहलाने वाला उत्तरी कश्मीर का जिला बारामुला अब आतंकियों से पूरी तरह आजाद हो गया है। बारामुला में अब कोई स्थानीय आतंकी जिंदा नहीं रहा है। यह दावा राज्य पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने किया है।
गौरतलब है कि गत बुधवार को ही सुरक्षाबलों ने बारामुला से करीब सात किलोमीटर दूर लश्कर ए ताईबा के तीन स्थानीय आतंकियों को मार गिराया है। उत्तरी कश्मीर में एलओसी के साथ सटा बारामुला रियासत में बीते तीन दशकों से जारी आतंकी हिंसा के दौरान आतंकियों से पूरी तरह मुक्त होने वाला घाटी का पहला जिला है।
राज्य पुलिस महानिदेशक का यह दावा आतंकवाद से त्रस्त कश्मीर घाटी के और इसके लोगों के लिए ही नहीं राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने से लेकर आतंकवाद की नकेल कसने के लिहाज से भी यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है,क्योंकि यह उत्तरी कश्मीर के उन जिलों में प्रमुख है,जहां गुलाम कश्मीर से घुसपैठ के बाद आतंकी सबसे पहले डेरा डालते हैं।
इसके अलावा यह कटटरपंथी सईद अली शाह गिलानी और अब्दुल गनी बट सरीखे अलगाववादियों का भी पैतृक इलाका है। जमायत ए इस्लामी जो कभी हिजबुल मुजाहिदीन आतंकी संगठन को अपना फौजी बाजू मानती थी, भी यहां एक जबरदस्त पैठ रखती है। उड़ी सेक्टर भी इस जिले का हिस्सा है। गुलमर्ग सब सेक्टर भी इसमें शामिल है और उधमपुर हमले में शामिल आतंकी नवीद भी इसी रास्ते से कश्मीर आया था।
राज्य पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा कि बीते 29 सालों में बारामुला आतंकियों से मुक्त कश्मीर का पहला जिला है। आज यहां कोई स्थानीय आतंकी नहीं है। जो तीन आतंकी थे, वह बुधवार को मारे गए हैं। यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि इसी तरह का दावा करीब 22 साल पहले सेना के तत्कालीन ब्रिगेडियर अहलावत ने दक्षिण कश्मीर के जिला कुलगाम के लिए किया था। करीब छह साल पहले जिला बडगाम के बारे में भी यही बात की गई थी।
तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेंसियों के हवाले पर बड़गाम व गांदरबल को आतंकवाद मुक्त बताते हुए अफास्पा हटाने की बात की थी। लेकिन दो दिसंबर 2013 को आतंकियो ने चाडूरा में सरेआम एक थाना प्रभारी समेत तीन लोगों की हत्या कर, सभी के मुंह बंद कर दिए थे।
राज्य में आतंकियों के खिलाफ अभियानों में सक्रिय भूमिका निभा रहे एक वरिष्ठ सुरक्षाधिकारी ने कहा कि बारामुला में बीते एक सात-आठ सालों में आतंकी हिंसा नाममात्र की रह गई थी। जिला मुख्यालय में आतंकी सिर्फ ग्रेनेड हमलों तक ही खुद को सीमित रखे हुए थे। अलबत्ता, जिले के अन्य कस्बों और शहरों में आतंकी जरूर वारदातों को समय समय पर लगातार अंजाम देते आ रहे हैं।