अतिदलित जातियों को जनसंख्या अनुपात में सभी स्तरों पर मिले आरक्षण-अशोक आर्य

By Tatkaal Khabar / 17-04-2017 04:03:54 am | 14605 Views | 0 Comments
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अतिदलित जातियों के आरक्षण की सार्थकता विषय पर हुआ सेमिनार का आयोजन

लखनऊ 17 अप्रैल 2017। डा0 अम्बेडकर जन सेवक समाज संस्था की तरफ से डिप्लोमा इंजीनियर्स लोक निर्माण विभाग मुख्य भवन स्थित सेमिनार हाॅल में अतिदलित जातियों के आरक्षण की सार्थकता विषय पर सेमिनार का आयोजन के0पी0 शास्त्री की अध्यक्षता व संस्था अध्यक्ष अशोक आर्य के संमायेकत्व में सम्पन्न हुआ। मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चै0 लौटन राम निषाद ने सभा को संबोधित किया व संचालन यूनुस मोहानी ने किया। मुख्य वक्ता के रूप में आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान व्यवस्था में हर दलित जाति को विकास के समान अवसर नहीं मिल पा रहे हैं। जिसके लिए माननीय उच्च न्यायलय में याचिकायें दाखिल हो रही हैं। उन्होंने आन्ध्र प्रदेश, केरल, हरियाणा, पंजाब, बिहार की भांति अतिदलित जातियों को अलग से आरक्षण की व्यवस्था की मांग करते हुए कहा कि जब तक अतिदलितों या महादलितों को अलग से आरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित नहीं की गयी तो अनुसूचित जातियों के आरक्षण का अतिक्रमण कुछ जातियां ही कर सबल हो जायेगी और वास्तव में वंचित जातियां वंचित ही रह जायेगी। 
सेमिनार के संयोजक अशोक आर्य ने अतिदलितों के सन्दर्भ में आरक्षण सार्थकता विषय पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आरक्षण का लाभ समान रूप से सभी दलित जातियों को नहीं मिल पा रहा है। जिससे कुछ जातियों का प्रतिनिधित्व सरकारी नौकरियों में बहुत कम हो गया है। इस असमानता पर असंतोष व्यक्त करते हुए प्रदेश की पिछली सरकारों को जिम्मेदार ठहराया, साथ ही उन्होंने उपस्थित प्रतिनिधियों से अतिदलित जातियों व अतिपिछड़ी जातियों को आरक्षण का अलग कोटा की मांग के लिए संघर्ष का आहवान किया। उन्होने आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था को दोषपूर्ण बताते हुए इसमें केन्द्र व राज्य सरकार से संशोधन करने की मांग की। आर्य ने कहा कि डा0 अम्बेडकर द्वारा दलितों को आरक्षण दिलाने का उद्देश्य सामाजिक समानता स्थापित था परन्तु दोषपूर्ण आरक्षण व्यवस्था के कारण डा0 अम्बेडकर का सपना अधूरा रह गया। 65 वर्षो से आरक्षण का लाभ एक जाति विशेष को ही मिला है। जिससे दूसरी अन्य दलित जातियों को आरक्षण के लाभ से वंचित होना पड़ रहा है। इसका मुख्य कारण मायवती सरकार का बारबार होना तथा चयन समितियों के सदस्यों के रूप में एक जाति विशेष के अधिकारियों का होना, इन दो कारणों से आरक्षण के रिक्त पदों पर ज्यादातर भर्तियां एक जाति विशेष से की गई। उन्होंने सरकार से मांग किया कि भविष्य में इस विसंगति को दूर किया जाना चाहिए।
परमानन्द प्रसाद एडवोकेट ने उ0प्र0 पावर कारपोरेशन ने अभियन्ताओं की की गई पदावनतियों को मा0 सर्वोच्च न्यायलय की अनुरूपता में नही की गई है जिससे उ0प्र0 के अन्दर पदावनति को लेकर भ्रम की स्थिति है जिससे जहाँ गृह विभाग ने चयन के माध्यम से पदोन्नत कार्मिको को चयनित मानते हुए पदोन्नत को बहाल कर दिया है। वहीं बिजली विभाग में चयन के माध्यम से पदोन्नत कार्मिको को पदावनत कर दिया है जो नियमतः गलत है, जिसकी समीक्षा की जानी चाहिए। दलित नेता  सुशील कुमार बाल्मिकी ने बताया कि प्रदेश में जबसे अनुसूचित जाति उत्पीड़न अधीनियम शिथिल कर दिया गया है। तब से दलित उत्पीड़न के मामले वर्ष दर वर्ष बढ़ते गये है। 
सेमिनार अध्यक्ष के0पी0 शास्त्री ने अतिदलित जातियों से एक जूट होकर अलग आरक्षण के लिए संघर्ष का आहवान किया वहीं अमरजीत भारती एडवोकेट ने महादलित आयोग के गठन की मांग की ।सेमिनार को सर्व तारा चन्द्र जी, प्रेम चन्द्र, डा0 नन्द किशोर, अनिल कुमार, उ0प्र0 पावर कारपोरेशन के पूर्व महा प्रबंधक अशोक कुमार आर्य ने संबोधित करते हुए सामाजिक न्याय व प्रतिनिधित्व के लिए अतिदलित व अतिपिछड़ी जातियों से एक जूट हो संघर्ष का आहवान किया।