सुप्रीम कोर्ट : भूमि अधिग्रहण केस से नहीं हटेंगे जस्टिस अरुण मिश्रा

By Tatkaal Khabar / 23-10-2019 08:36:18 am | 15725 Views | 0 Comments
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर पांच सदस्यीय संविधान पीठ से न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा को अलग करने की मांग करने के पक्षकारों के अनुरोध को स्वीकार कर लिया गया तो यह इतिहास का सबसे काला अध्याय होगा, क्योंकि न्यायपालिका को नियंत्रित करने के लिये उसपर हमला किया जा रहा है। पीठ में न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी, न्यायमूर्ति विनीत सरन, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट भी हैं। शीर्ष अदालत पांच सदस्यीय पीठ से न्यायमूर्ति मिश्रा को अलग रखने की मांग करने वाली याचिका पर 23 अक्टूबर को आदेश सुनाएगी।

‘जस्टिस मिश्रा को हटाने की मांग करना गलत’

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने किसान संगठनों के वकील श्याम दीवान से कहा कि सुनवाई से जस्टिस मिश्रा को हटाने की मांग करना गलत है। क्या आप पांच जजों की पीठ में अपनी पसंद का व्यक्ति चाहते हैं। यह एक गंभीर मसला है और इतिहास कहेगा कि एक वरिष्ठ वकील भी इस प्रयास में शामिल था। कोर्ट के इस सवाल पर दीवान ने कहा कि एक जज को पूर्वाग्रह की आशंका को देखते हुए सुनवाई से हट जाना चाहिए। ऐसा न होने पर जनता का भरोसा उठ जाएगा और इसलिए वह संस्थान की ईमानदारी को बरकरार रखने के लिए जज को हटाने का निवेदन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी प्रार्थना का सरोकार अपनी पसंद के व्यक्ति को पीठ में शामिल कराने से दूर-दूर तक नहीं है और 'वैश्विक सिद्धांत’ हैं जिन्हें यहां लागू किया जाना है। हम सिर्फ इस ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

पीठ से अलग होने की मांग करने वाली याचिका 'प्रायोजित’- जस्टिस मिश्रा

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि पीठ से उनके अलग होने की मांग करने वाली याचिका 'प्रायोजित’ है। उन्होंने कहा, 'अगर हम इन प्रयासों के आगे झुक गए तो यह इतिहास का सबसे काला अध्याय होगा। ये ताकतें न्यायालय को किसी खास तरीके से काम करने के लिए मजबूर करने का प्रयास कर रही हैं। इस संस्थान को नियंत्रित करने के लिए हमले किए जा रहे हैं। यह तरीका नहीं हो सकता, यह तरीका नहीं होना चाहिए और यह तरीका नहीं होगा।

यही खास तरीका मुझे पीठ में बने रहने को मजबूर कर रहा है- जस्टिस मिश्रा

किसी का भी नाम लिए बिना न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, 'ये ताकतें हैं जो इस न्यायालय को खास तरीके से काम करने के लिए मजबूर करने का प्रयास कर रही हैं, वही मुझे पीठ में बने रहने को मजबूर कर रही हैं। अन्यथा, मैं अलग हो जाता। उन्होंने कहा कि न्यायाधीश के तौर पर लोगों के लिये संस्थान की रक्षा करने की जिम्मेदारी को वह जानते हैं। उन्होंने कहा, 'इस संस्थान में जो कुछ भी हो रहा है, वह वाकई हैरान करने वाला है’।