बसंत पंचमी : मां सरस्वती ने आज के दिन दिया अनुपम सौंदर्य का उपहार

By Tatkaal Khabar / 29-01-2020 04:21:31 am | 17080 Views | 0 Comments
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बसंत पंचमी के दिन से शिक्षा का आरंभ होता है, बसंत पंचमी पर ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है, बच्चों का दाखिला गुरुकुल में किया जाता है, शिक्षण संस्थानों में माता सरस्वती की पूजा की जाती है, हिन्दू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी माघ मास शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, छः ऋतुओं में बसंत ऋतु का सबसे अधिक महत्व होता है, बसंत ऋतू में मां सरस्वती के आलावा भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा की भी की जाती है, ऋग्वेद के अनुसार बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का जन्मोत्सव मनाया जाता है, तो आइये जानते हैं बसंत पंचमी 2020 में कब है, बसंत पंचमी सरस्वती पूजा शुभ मुहूर्त 2020, बसंत पंचमी का महत्व, बसंत पंचमी सरस्वती बंसंत पंचमी पूजा विधि
सरस्वती पूजा शुभ मुहूर्त 2020 (Saraswati Puja Shubh Muhurat 2020) सरस्वती पूजा मुहूर्त 2020- सुबह 10 बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक (29 जनवरी 2020) पंचमी तिथि प्रारम्भ - सुबह 10 बजकर 45 मिनट से (29 जनवरी 2020 ) पंचमी तिथि समाप्त - अगले दिन रात 01 बजकर 19 मिनट तक (30 जनवरी 2020)

बसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा का पर्व इस साल 30 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की पूजा करने से मुश्किल से मुश्किल मनोकामना पूरी होती है। पौराणिक मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं। इसलिए बसंत पंचमी में मां सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। आज के दिन विद्धार्थी, कलाकार, संगीतकार और लेखक आदि मां सरस्वती की उपासना करते हैं। स्वरसाधक मां सरस्वती की उपासना का उसने से स्वर प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं।

कैसे हुआ था सरस्वती माता का जन्म

सृष्टि की रचना के समय ब्रह्मा ने जीव-जंतुओं और मनुष्य योनि की रचना की। लेकिन उन्हें लगा कि कुछ कमी रह गई है जिसके कारण चारों ओर सन्‍नाटा छाया रहता है। ब्रह्मा ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुईं। उस स्‍त्री के एक हाथ में वीणा और दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। बाकि दोनों हाथों में पुस्तक और माला थी। 
ब्रह्मा ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी मिल गई। मधुर शीतल जलधारा कलकल नाद करने लगी। मीठी हवा सरसराहट कर बहने लगी। चारों तरफ भीनी-भीनी सुगंध प्रवाहित होने लगी। रंग बिरंगे फूलों ध्रती सज गई।
चारों तरफ हरियाली छा गई। वातावरण में प्रकृति के संगीत की धुनें बजने लगी...तब ब्रह्मा ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। सरस्वती को वागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावा‍दिनी और वाग्देवी समेत कई नामों से पूजा जाता है। वो विद्या, बुद्धि और संगीत की देवी हैं। ब्रह्मा ने देवी सरस्‍वती की उत्‍पत्ति वसंत पंचमी के दिन ही की थी