चैत्र नवरात्रि 2020: इस शुभ मुहूर्त में करें कलश स्थापना
चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 25 मार्च यानी कल से है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना होगी। 9 दिनों तक चलने वाले नवरात्रि के आखिरी दिन 2 अप्रैल को रामनवमी मनाई जाएगी। हिंदी पंचांग के अनुसार प्रतिपदा तिथि से भारतीय नववर्ष भी आरंभ होगा जिसे नव संवत्सर 2077 कहा जाएगा। आइए जानते हैं नवरात्रि पर कलश स्थापना का क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि...
कलश स्थापना पूजा शुभ मुहूर्त
- मुहूर्त शास्त्रों के मुताबिक मां दुर्गा की आराधना द्विस्वभाव लग्न में करना श्रेष्ठ माना गया है। 25 मार्च प्रतिपदा के दिन रेवती नक्षत्र और ब्रह्म योग होने के कारण सूर्योदय से लेकर अभिजीत मुहूर्त की समाप्ति तक कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है।
- 24 मार्च, मंगलवार को प्रतिपदा तिथि का आरंभ दोपहर 2 बजकर 55 मिनट से शुरू हो जाएगा। किन्तु ये 25 मार्च को शायं 05 बजकर 25 मिनट तक रहेगा, इसलिए प्रतिपदा 25 को ही मानी जायेगी।
घट स्थापना का पहला मुहूर्त
शक्ति आराधना का श्रेष्ठ लग्न मीन इस दिन सूर्योदय से 07 बजकर 16 मिनट तक के मध्य है। इस अवधि के बीच शक्ति आराधना के लिए श्रेष्ठ बुध की भी होरा है अतः हर तरह से इसदिन का प्रथम मुहूर्त और भी शुभ हो गया है।
घट स्थापना का दूसरा मुहूर्त
द्विस्वभाव वाली मिथुन लग्न समय- 10 बजकर 47 से 01 बजकर 01 मिनट पर है इसी अवधि के मध्य अभिजीत मुहूर्त 11.58 से 12.49 तक है और राहुकाल- 12.27 से 13.59 तक है अतः
दोपहर 12 बजकर 27 तक ही कलश स्थापन का श्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा।
नाव पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा
साल 2020 के चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ बुधवार के दिन होगा। इस बार माँ दुर्गा 'नौका' पर विराजमान होकर आएंगी। मां अपने सभी भक्तों को अभीष्ट सिद्धि देती हैं। वहीं मां की विदाई हाथी की सवारी पर होगी।
शशि सूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे | गुरौ शुक्रे च डोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता' |
गजे च जलदा देवी छत्र भंगस्तुरंगमे | नौकायां सर्वसिद्धि स्यात डोलायां मरण ध्रुवम्
पूजा विधि
25 मार्च को सुबह दैनिक नित्यकर्म कर स्नानादि कर मां दुर्गा, भगवान गणेश, नवग्रह के साथ मिट्टी का कलश की स्थापना करें। कलश के ऊपर रोली से ॐ और स्वास्तिक आदि लिख दें ।
- कलश में जल, गंगाजल, लौंग, इलायची,पान, सुपारी, रोली, मोली, चन्दन, अक्षत, हल्दी, रुपया पुष्पादि डालें।
- जौ अथवा कच्चा चावल कटोरे मे भरकर कलश के ऊपर रखें और अब उसके ऊपर चुन्नी से लिपटा हुआ नारियल रखें ।
- अपने पूजा स्थल से दक्षिण और पूर्व की तरफ घी का दीपक जलाए।