निर्देशक शेखर कपूर ने खुलासा किया सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़ा कुछ सच
सुशांत सिंह राजपूत की मौत किन हालातों में हुई, ये सवाल उस चौराहे पर खड़ा है जहां से कई जवाब निकलते हैं. कोई कह रहा है सुशांत डिप्रेशन में थे, कोई लव एंगल निकाल रहे हैं तो कोई कह रहा है नेपोटिज्म का शिकार हो गए. जितने मुंह उतनी बातें लेकिन सच्चाई ये है कि सुशांत की मौत के साथ ही दफ्न हो गए उन सवालों के जवाब जो सुशांत की मौत की असली वजह सामने ला सकते थे.
सुशांत की मौत से यूं तो पूरा बॉलीवुड गमगीन है लेकिन इन सबमें से कोई एक है जिसे सुशांत के जाने से जबर्रदस्त सदमा लगा है और वो हैं इंटरनेशनल फिल्म डायरेक्टर शेखर कपूर जो सुशांत सिंह राजपूत के साथ एक फिल्म करना चाहते थे जिसका टाइटल था पानी.. सुशांत सिंह राजपूत को लेकर उन्होंने फिल्म अभिनेता मनोज वाजपेयी के साथ इंस्टाग्राम पर वीडियो चैट किया. उनकी बातचीत का अंश हम आपको पढ़वा रहे हैं.
शेखर कपूर– मुझे लगता है हमारे भीतर का कुछ हिस्सा ऐसा है जिसे ड्रामा पसंद है. हम मूवी बिजनेस में हैं और ऐसे किसी भी बिजनेस में जहां हाई प्रोफाइल लोग शामिल होते हैं वहां लोग ड्रामा ढूढ़ने की कोशिश करते हैं. आज जिस दौर में हम जी रहे हैं वहां हर कोई यही बात कर रहा है… मैं उम्मीद करता हूं कि हर चीज को ड्रामेटाइज करने का ये चलन जल्द खत्म हो…
हम लोगों का ध्यान अल्पकालिक है, सोशल मीडिया ने हमें ऐसा ही बनाया है. वो दिन चले गए जब दिमाग शांत हो जाता था लेकिन लगता है सुशांत के मामले में जब दिमाग शांत होगा तो हम सुशांत की फिल्में देखेंगे और बार-बार देखेंगे और ये समझने की कोशिश करेंगे कि वो उसने हमें किया दिया.
फिल्म पानी के प्रोजेक्ट पर सुशांत के साथ काम करने के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि जब वो पहली बार सुशांत सिंह राजपूत से मिले तो उन्हें लगा कि वो एक बच्चे से मिल रहे हैं.
शेखर कपूर ने कहा– महीनों की तैयारी के बाद फिल्म के प्रोड्यूसर यशराज फिल्म्स ने प्रोजेक्ट बंद कर दिया. वो बच्चों की तरह उछल रहा था कि उसे मेरे साथ काम करने का मौका मिलेगा. सुशांत के बारे में सबसे अच्छी बात जो मैने नोटिस की वो ये कि रिहर्सल की लाइन या स्क्रिप्ट पढ़ने के साथ ही उसकी एक्टिंग बंद नहीं हो जाती थी. उसकी दिलचस्पी उससे कहीं ज्यादा थी…
जब भी मैं पानी के लिए प्रोडक्शन डिजाइनर या डीओपी या वीएफएक्स टीम से मिलता, सुशांत उस मीटिंग में जरूर मौजूद होता. सुशांत फिल्म पानी के कैरेक्टर गोरा में पूरी तरह डूब चुका था. वो कई बार रात 2 बजे 3 बजे फोन करता और फिल्म से जुड़ी छोटी से छोटी डिटेल्स मुझसे डिस्कस करता. पानी जैसे उसके लिए नशा बन गई थी.
तीन महीनों की तैयारी के बाद मुझे सुशांत से जैसे प्यार हो गया था. जब उसे पता चला कि पानी का प्रोजेक्ट बंद किया जा रहा है तो उसका दिल टूट सा गया…
… जब फिल्म बंद हो गई और उसे ये एहसास हुआ कि वो फिल्म नहीं कर रहा है तो वो बहुत रोया.. मैं भी रोया.. वो रोता था तो मैं भी रोता था साथ-साथ क्योंकि मैं भी इस प्रोजेक्ट में भीतर तक शामिल हो गया था.
हमारी जिंदगियां ही कुछ ऐसी होती है. उतार और चढ़ाव.. और ये जो लफ़्ज हैं डिप्रेशन… ऐसा नहीं है कि मैं कह रहा हूं कि डिप्रेशन नहीं होता, मैं ऐसा कह रहा हूं कि ड्रिप्रेशन एक लफ़्ज है जिसके साथ हम खेल लेते हैं. क्योंकि हम क्रिएटिव लोग हैं इसलिए हम भावनाओं के साथ खेल लेते हैं.