Raksha Bandhan 2020: भद्रा में नहीं बांधनी चाहिए राखी, इस रक्षा बंधन को जानें भद्रा और राहुकाल का समय
रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसे सलूनों भी कहते हैं। इस साल राखी का त्योहार 3 अगस्त को है। राखी बांधते समय जो याद रखा जाता है वो है भद्रा काल। दरअसल शास्त्रों में राहुकाल और भद्रा के समय शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भद्रा में राखी न बंधवाने की पीछ कारण है कि लंकापति रावण ने अपनी बहन से भद्रा में राखी बंधवाई और एक साल के अंदर उसका विनाश हो गया। इसलिए इस समय को छोड़कर ही बहनें अपने भाई के राखी बांधती हैं।
रक्षा बंधन का त्योहार भाई-बहन के अटूट रिश्ते, प्यार, त्याग और समर्पण को दिखाता है। बहनों में रक्षाबंधन के पर्व को लेकर उत्साह होती है। राखी के दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी या फिर रक्षा सूत्र बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। इसके बदले भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा करने का वचन भी देते हैं। बहने रक्षाबंधन के पवित्र त्योहार का पूरे साल इंतजार करती हैं।
रक्षा बंधन का महत्व:
राखी को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है। हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक रक्षा बंधन उत्तर भारत में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। राखी हिंदू धर्म के उन त्योहारों में से एक हैं, जिन्हें पुरातन काल से ही मनाया जाता आ रहा है। राखी का धागा भाई बहन के स्नेह को दर्शाता है। पंचांग के अनुसार इस दिन बहने राखी को शुभ मुहूर्त में ही भाई की कलाई पर बांधना चाहिए। ऐसा माना गया है कि महाभारत के युद्ध में युधिष्टिर ने भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर सभी सैनिकों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था। देवराज इंद्र ने भी इसे धारण कर के असुरों पर विजय प्राप्त की थी। रक्षा सूत्र को विजय प्रदान करने वाला माना गया है। शास्त्रों में रक्षा सूत्र के बारे में बड़ी गहराई से बताया गया है। यह त्योहार देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। महाराष्ट्र में सावन की पूर्णिमा के दिन जल देवता वरुण की पूजा की जाती है।
रक्षा बंधन की तिथि:
राखी का त्योहार हर साल सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 3 अगस्त सोमवार को मनाया जा रहा है। सोमवार के दिन होने के कारण इसका महत्व बढ़ और जाता है। क्योकि सावन के महीने में सोमवार को भगवान शिव की पूजा अर्चना का विशेष महत्व है।
भद्रा में क्यों नहीं बांधते राखी:
ऐसा माना गया है कि रक्षा बंधन के दिन अपराह्न यानी कि दोपहर के वक्त राखी बांधनी चाहिए। यदि अपराह्न समय न हो तो प्रदोष काल में राखी बांधनी चाहिए। ऐसा माना गया है कि बहनों को राखी बांधते समय जो याद रखना चहिए वो है भद्रा काल। शास्त्रों के अनुसार राहुकाल और भद्रा के समय शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रावण की बहन ने रावण को भद्र काल में राखी बांध दी थी, जिस के कारण से रावण का सर्वनाश हो गया था। इसलिए इस समय को छोड़कर ही बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं। यह भी कहा गया है कि भद्रा शनि महाराज की बहन है। उन्हें ब्रह्माजी जी ने श्राप दिया था कि जो भी व्यक्ति भद्रा में शुभ काम करेगा, उसका परिणाम अशुभ ही होगा। इसके अलावा राहुकाल में भी राखी नहीं बांधी जाती है।
भद्रा और राहुकाल का समय:
ज्योतिर्विद के अनुसार अधिकतर रक्षा बंधन के पर्व पर भद्रा की साया रहती ही है, लेकिन इस वर्ष भद्रा सुबह दिन में 08:28 तक ही रहेगी तथा इसके बाद 9 बजे तक राहु काल रहेगा। इसलिए इस समय के बाद राखी बांधी जा सकती है। दोपहर 2 बजे से शाम 7 बजे तक के बीच लगातार चर लाभ और अमृत के तीन शुभ चौघड़िया मुहूर्त होंगे। इसलिए दोपहर 2 से शाम 7 बजे के बीच का पूरा समय भी राखी बांधने के लिए शुभ होगा।