प्रदेश में महिला-बाल अपराध संबंधी शिकायतों का त्वरित होगा निस्तारण
लखनऊ। प्रदेश में कानून-व्यवस्था का राज स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टाॅलरेंस की नीति के तहत प्रदेश सरकार ने अब महिलाओं एवं बच्चों के प्रति होने वाले उत्पीड़न को रोकने, इस प्रकृति के अपराधों को पूरी तरह से नियंत्रित करने और हर संभव सहायता उपलब्ध कराने के लिए एक नया और परिवर्तनकारी कदम उठाया है।
प्रदेश सरकार ने महिला एवं बाल विकास सुरक्षा संगठन का गठन किया है, जिसका कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश होगा। इस संगठन में अपर पुलिस महानिदेशक, महिला एवं बाल का नया पद सृजित होगा। साथ ही कार्यालय भी बनेगा। वर्तमान में महिला उत्पीड़न सम्बंधी मामलों में कार्यवाही के लिए संचालित महिला सम्मान प्रकोष्ठ, महिला सहायता प्रकोष्ठ, वूमन पावर लाइन-1090 और पुलिस की अन्य इकाइयां इस नवगठित संगठन में समाहित की जायेगी।
इस नवगठित संगठन के अपर पुलिस महानिदेशक, महिला एवं बाल के सहयोग के लिए इसमें पुलिस महानिरीक्षक-1090, पुलिस उप-महानिरीक्षक-प्रथम और पुलिस उप-महानिरीक्षक-द्वितीय की तैनाती होगी। पुलिस महानिरीक्षक-1090 के तहत वर्तमान व्यवस्था एवं जनशक्ति यथावत रहेगी। वहीं पुलिस उप-महानिरीक्षक-प्रथम के साथ रीडर (निरीक्षक/उप निरीक्षक), एक हेडकास्टेबल तथा 3 कार्मिक तैनात किए जाएंगे। महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन के लिए एडीजी के अलावा किसी नए पद का गठन नहीं होगा। सीबीसीआईडी स्थित महिला सहायता प्रकोष्ठ, वीमेन पावर लाइन और महिला एवं बाल सुरक्षा प्रकोष्ठ के लिए गठित पदों को संगठन में समाहित किया जाएगा।
अपर पुलिस महानिदेशक के स्टाफ अफसर के रूप में एक एएसपी की तैनाती होगी। आईजी 1090 के अलावा डीआईजी स्तर के दो अधिकारी भी एडीजी की मदद के लिए होंगे। इसके अलावा दो एसपी या एएसपी स्तर के अधिकारी, एक एएसपी और दो डीएसपी स्तर के अधिकारी भी संगठन का हिस्सा होंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महिलाओं, बालकों और बालिकाओं से संबंधित अपराध की रोकथाम के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए नई और कारगर व्यवस्था बनाई है। ‘महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन‘ में पुलिस विभाग में संचालित अलग-अलग इकाइयां महिला सम्मान प्रकोष्ठ, महिला सहायता प्रकोष्ठ, 1090 और महिलाओं से संबंधित लोक शिकायत से प्राप्त होने वाली शिकायत के निस्तारण की जिम्मेदारी और जवाबदेही अब एक ही अधिकारी पर होने से इसके बेहतर परिणाम मिलेंगे।
जानकारों की मानें तो इस नई व्यवस्था के तहत महिला और बच्चों से जुड़े अपराध, शोषण के अलावा अन्य समस्याओं और शिकायतों की सुनवाई अब एक छत के नीचे होने के परिवर्तनकारी और दूरगामी परिणाम मिलेंगे। एक ओर यह संगठन महिलाओं-बच्चों का उत्पीड़न रोकने, उनके खिलाफ होने वाले अपराधों को नियंत्रित करने, उन्हें सहायता उपलब्ध करवाने में सहायक होगा, तो वहीं दूसरी ओर यह नई व्यवस्था महिला सशक्तिरण की दिशा में भी काम करेगी।
संगठन के अधीन हुए महिला थाने, प्रकोष्ठ
पूरे प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा का सबसे बड़ा सहारा मानी जाने वाली विमिन पावर लाइन 1090, सभी महिला थाने, एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट, महिला सम्मान प्रकोष्ठ, सीबीसीआईडी का महिला सहायता प्रकोष्ठ और पुलिस मुख्यालय का लोक शिकायत अनुभाग यूपी 112 अब महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन के अंडर में रहेंगे। यहां आने वाली शिकायतों और समस्याओं की समीक्षा-निगरानी का जिम्मा अब इसी संगठन के हाथ में होगा। इसके अलावा सीएम हेल्पलाइन, आईजीआरएस, 1076, 181, यूपीकॉप, एनसीआरपी, सीसीपीडब्ल्यूसी, सभी जिलों, रेंज और जोन से सीधे आने वाली शिकायतों, केंद्र और राज्य महिला आयोग से आने वाले मामलों का पर्यवेक्षण और सुनवाई भी संगठन की जिम्मेदारी होगी।
*नवगठित संगठन की जिम्मेदारियां*
महिलाओं के उत्पीड़न से जुड़े मामलों की मासिक समीक्षा और आंकड़ों का संकलन
पीड़िताओं की तत्काल मदद के साथ अन्य सहायता
जेंडर सेंसिटाइजेशन के लिए सेमिनार, ट्रेनिंग और वर्कशॉप
महिलाओं से जुड़े मामलों के लिए पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग
महिलाओं के साथ होने वाली घटनाओं के कारणों की रिसर्च
संगठन के अधिकारियों द्वारा जिलों का औचक निरीक्षण
मानव तस्करी के खिलाफ कार्ययोजना बनाकर कार्रवाई की समीक्षा और सुनवाई
डीएनए सैंपलिंग, गुमशुदा महिलाओं और बच्चों का डेटा जुटाकर कार्रवाई की समीक्षा और फरेंसिक जांच की सुविधा दिलवाना
महिलाओं और बच्चों से जुड़े विभागों से समन्वय बनाकर योजनाओं का क्रियान्वयन
जिलों में चिकित्सकीय, मनोविज्ञानी, न्यायिक और परामर्शी सेवाओं के लिए समन्वय
शासन और डीजीपी द्वारा सौंपी गई कोई भी जिम्मेदारी