जानिए ! लोकसभा में पास होने वाले दो कृषि विधेयक में क्या है? किसान क्यों विरोध कर रहे हैं?

By Tatkaal Khabar / 18-09-2020 02:35:46 am | 11029 Views | 0 Comments
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देश में कृषि सुधार के लिए दो अहम विधेयकों को लोकसभा ने गुरुवार को मंजूरी दे दी। विपक्षी दलों के विरोध के बीच कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 और मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा विधेयक 2020 संसद के निम्न सदन में ध्वनिमत से पारित हो गए हैं। बीजेपी के सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने विधेयक को किसान विरोधी बताया। विधेयक लोकसभा में पारित होने के पहले अकाली दल कोटे से केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
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ये दोनों विधेयक कोरोना काल में मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020 और मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश 2020 की जगह लेंगे। चालू मानसून सत्र के पहले ही दिन 14 सितंबर को केंद्रीय मंत्री तोमर ने ये दोनों विधेयक लोकसभा में पेश किए थे जिन पर चर्चा के बाद लोकसभा ने अपनी मुहर लगा दी।
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देश में कृषि सुधार के लिए दो अहम विधेयकों को लोकसभा ने गुरुवार को मंजूरी दे दी। भारी विरोध के बीच कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य विधेयक 2020 और मूल्य आश्वासन पर किसान समझौता और कृषि सेवा विधेयक 2020 लोकसभा में ध्वनिमत से पारित हो गए हैं. इन विधेयकों का संसद से लेकर सड़क तक विरोध हो रहा है। ऐसे में हम आपको बताते हैं कि क्या है इन बिल में और क्यों इतना विरोध हो रहा है।


कृषि से संबंधित दो अध्यादेशों को गुरुवार के दिन 5 घंटे चली लंबी बहस के बाद इसे पारित कर दिया गया है। कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य, सवर्धन और विधेक-2020 और किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020 अब लागू हो चुका है। ऐसे में इसके पास होने के फौरन बाद भाजपा को विपक्षियों के साथ साथ अपने सहयोगियों के विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है। इसी बीच बिल पारित होने के बाद भाजपा की सहयोगी दल की मंत्री हरसिमरत कौर ने मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। वहीं विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर लिया। बता दें कि इसी से संबंधित आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल को मंगलवार को ही पास किया जा चुका है


दो कृषि विधेयक में क्या है
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों को इन विधेयकों के माध्यम से अपनी मर्जी से फसल बेचने की आजादी मिलेगी। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बरकरार रखा जाएगा और राज्यों के अधिनियम के अंतर्गत संचालित मंडियां भी राज्य सरकारों के अनुसार चलती रहेगी। विधेयकों से कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन आएगा, किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। खेती में निजी निवेश से होने से तेज विकास होगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मजबूत होने से देश की आर्थिक स्थिति और अच्छी होगी।
सरकार का कहना है कि विधेयक से किसानों को विपणन के विकल्प मिलेंगे, जिससे वे सशक्त बनेंगे। किसानों के पास मंडी में जाकर लाइसेंसी व्यापारियों को ही अपनी उपज बेचने की विवशता क्यों, अब किसान अपनी मर्जी का मालिक होगा। करार अधिनियम से कृषक सशक्त होगा और समान स्तर पर एमएनसी, बड़े व्यापारी आदि से करार कर सकेगा। किसानों को कोर्ट-कचहरी के चक्कर नहीं लगाना पड़ेंगे, तय समयावधि में विवाद का निपटारा और किसान को भुगतान सुनिश्चित होगा। कृषक उपज व्योपार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक एक इको-सिस्टम बनाएगा। इससे किसानों को अपनी पसंद के अनुसार उपज की बिक्री-खरीद की स्वतंत्रता होगी।
किसान क्यों विरोध कर रहे हैं?
कृषि से जुड़े विधेयकों का पंजाब में काफी विरोध हो रहा है क्योंकि किसान और व्यापारियों को इससे एपीएमसी मंडियां खत्म होने की आशंका है। यही कारण है कि प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दलों ने कृषि विधेयकों का विरोध किया है। इसी कड़ी में केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कृषि से जुड़े विधेयकों के विरोध में मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है।
कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 में कहा गया है कि किसान अब एपीएमसी मंडियों के बाहर किसी को भी अपनी उपज बेच सकता है, जिस पर कोई शुल्क नहीं लगेगा, जबकि एपीएमसी मंडियों में कृषि उत्पादों की खरीद पर विभिन्न राज्यों में अलग-अलग मंडी शुल्क व अन्य उपकर हैं। पंजाब में यह शुल्क करीब 4।5 फीसदी है। लिहाजा, आढ़तियों और मंडी के कारोबारियों को डर है कि जब मंडी के बाहर बिना शुल्क का कारोबार होगा तो कोई मंडी आना नहीं चाहेगा। वहीं, पंजाब और हरियाणा में एमएसपी पर गेहूं और धान की सरकारी खरीद की जाती है। किसानों को डर है नए कानून के बाद एमएसपी पर खरीद नहीं होगी क्योंकि विधेयक में इस संबंध में कोई व्याख्या नहीं है कि मंडी के बाहर जो खरीद होगी वह एमएसपी से नीचे के भाव पर नहीं होगी।