राफेल का दूसरा जत्था लेने भारत पहुंचा फ्रांस, चीन की सीमा से महज 364 किमी दूर होगा तैनात!
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी सेना को 'युद्ध' की तैयारी करने की बात कही है। इस बीच एक भारतीय वायु सेना की टीम, दो बड़े अधिकारियों के नेतृत्व में फ्रांस में लड़ाकू विमान राफेल परियोजना की प्रगति की समीक्षा करने के लिए पहुंच गई है। लड़ाकू विमानों का दूसरा बैच अगले कुछ हफ्तों में अंबाला में अपने बेस तक पहुंचने के लिए तैयार है। टीम इस परियोजना की एक निर्धारित समीक्षा के लिए इस सप्ताह के शुरू में वायु सेना के सहायक प्रमुख (परियोजना) के नेतृत्व में फ्रांस पहुंच गई है।
भारतीय वायुसेना की ओर से ऑर्डर किए गए 36 में से पांच राफेल जेट 29 जुलाई को भारत पहुंच गए थे। रिपोर्ट के अनुसार, अगले कुछ हफ्तों में तीन या चार राफेल के आने की उम्मीद है। हालांकि तारीख को अंतिम रूप दिया जा रहा है। वायुसेना को हर दो महीने में तीन या चार राफेल जेट दिए जाने की उम्मीद है, जिससे सभी विमानों के वायु सेना के लड़ाकू बेड़े में शामिल होने की संभावना है। इससे पड़ोसी चीन और पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच तेजी से उन्नत जेट तैनात करने की वायुसेना की क्षमता को बढ़ावा मिलेगा।
जून 1997 में रूसी सुखोई -30 जेट्स की सेवा में प्रवेश करने के बाद राफेल लड़ाकू विमानों को पहली बार 23 साल में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। इसने भारतीय वायुसेना की आक्रामक क्षमताओं को बढ़ाया है।
भारतीय वायुसेना लद्दाख में राफेल फाइटर जेट्स का संचालन कर रही है, जहां चीन द्वारा किसी भी उकसावे से निपटने के लिए सेना हाई अलर्ट पर है। भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने हाल ही में उन्नत हथियारों, सेंसर और टेक्नोलॉजी से लैस राफेल ने वायुसेना की ताकत में बढ़ोतरी की है।
रिपोर्ट्स के अनुसार राफेल का दूसरा बैच हाशिमारा (पश्चिम बंगाल) में तैनात किया जाएगा। एयरबेस शिलॉन्ग स्थित पूर्वी वायु कमान के परिचालन कमान के अधीन है, जो पश्चिमी वायु कमान और प्रयागराज स्थित सेंट्रल एयर कमांड के साथ-साथ एलएसी की सुरक्षा जिम्मेदारी उठाता है। यह क्षेत्र रणनीतिक महत्व रखता है, क्योंकि यह तिब्बत की राजधानी ल्हासा हवाई अड्डे से केवल 364 किमी दूर है।
राफेल की खूबियां
वायुसेना में शामिल हो चुके राफेल की कई खूबियों में से एक खूबी यह है कि यह फाइटर जेट बॉर्डर पार किए बिना ही बालाकोट जैसी स्ट्राइक कर सकता है। राफेल की एक सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह एक मल्टीरोल एयरक्राफ्ट है। राफेल एयर टू एयर और एयर टू ग्राउंड दोनों ही स्थितियों में वार करने की जबरदस्त क्षमता रखता है। यह जेट 150 किलोमीटर दूर से ही हवा से हवा में मार करने और लक्ष्य को भेदने की क्षमता रखता है।
राफेल विमान एक साथ कई घातक हथियार ले जा सकता है। यह विमान एक साथ 24500 किलोग्राम तक का वजन ले जाने में सक्षम है। राफेल में कई तरह की घातक मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। इसमें यूरोपियन मिसाइल बनाने वाली कंपनी MBDA की मीटियॉर मिसाइल है, जो 150 किलोमीटर तक हवा से हवा में मार कर सकती है। दूसरी हवा से जमीन में मार करने वाल स्कैल्प मिसाइल, जो यह 300 किलोमीटर दूर तक निशाना बना सकती है. तीसरी है मीका मिसाइल जो हवा से हवा में 80 किमी दूर का टारगेट ले सकती है। वहीं, हैमर मिसाइल हवा से जमीन पर 60 किलोमीटर तक का टारगेट लेकर सफलता से लक्ष्य भेद सकती है।
चीन ने फिर उकसाया
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बुधवार को अपने सैनिकों से युद्ध की तैयारी करने को कहा है। जिनपिंग ने एक मिलिट्री बेस के दौरे पर सैनिकों से कहा- अपना पूरा दिमाग और ऊर्जा युद्ध की तैयारी पर केंद्रित करो। जिनपिंग मंगलवार को चीन के गुआंगडोंग के एक मिलिट्री बेस के दौरे पर थे जब उन्होंने सैनिकों को युद्ध की तैयारी की बात कही। जिनपिंग ने अपने सैनिकों को हाई अलर्ट की स्थिति में रहने को कहा है। जिनपिंग पीपल्स लिबरेशन आर्मी मैरीन कॉर्प्स का निरीक्षण करने पहुंचे थे। चीन के राष्ट्रपति ने सैनिकों से वफादार, बिल्कुल 'शुद्ध' और पूरी तरह भरोसेमंद रहने की अपील भी की।
भारत तैयार
इधर, भारतीय सेनाएं सीमा पर डटी हैं और हर परिस्थिति का माकूल जवाब देने के लिए तैयार हैं। तीनों सेनाओं ने अपनी पूरी तैयारी की हुई है। आर्मी और एयरफोर्स का ज्वाइंट वॉर की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। वायुसेना के लिए लेह हवाई क्षेत्र में एयरफोर्स ने रशियन सी-17एस, इल्यूशिन-76एस और यूएस आरिजन सी-130 जे सुपर हरक्यूलिस जेट (Russian-origin Ilyushin-76s and US-origin C-17s, C-130J Super Hercules) तैनात किया है। सीमा पर राफेल लगातार उड़ान भर रहा है।