Holashtak 2021: होलाष्टक 21 मार्च से, न करें मांगलिक कार्य
हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले मुहूर्त देखा जाता है। वर्ष में कई दिन ऐसे होते हैं जब शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इन्हीं में से एक है होलाष्टक। जैसा किनाम से ज्ञात है अष्टक अर्थात आठ दिन। होलिका दहन से पहले के आठ दिन शुभ कार्यो के लिए निषिद्ध होते हैं। इनमें मुंडन, गृह प्रवेश, विवाह, सगाई आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। हालांकिइस बार मलमास चलने के कारण पहले से ही मांगलिक कार्य बंद हैं। होलाष्टक के दौरान गर्भवती महिलाओं को यात्रा करने से रोक दिया जाता है। इस बार होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल सप्तमी रविवार दिनांक 21 मार्च से फाल्गुन पूर्णिमा रविवार दिनांक 28 मार्च 2021 तक रहेगा। मृगशिरा नक्षत्र से उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र तक होलाष्टक रहेगा।
होलिका दहन से पूर्व के आठ दिन शुभ कार्यो में निंदित रहते हैं। इन आठ दिनों में ग्रह अपने उग्र स्वरूप में होते हैं इसलिए कार्यो का शुभ फल मिलने की जगह उल्टा असर होता है। इसी कारण गर्भवती स्ति्रयों को भी बाहर निकलने, नदी-नाले पार करने, यात्रा आदि करने से रोक दिया जाता है। फाल्गुन माह के इन अंतिम आठ दिनों में तंत्र-मंत्र की क्रियाएं अपने चरम पर होती हैं।
होलाष्टक का पौराणिक महत्व
होलाष्टक की कथा भगवान शिव और कामदेव से जुड़ी हुई है। पुराण कथा के अनुसार कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी थी। इससे क्रोधित होकर शिवजी ने कामदेव को भस्म कर दिया था। यह दिन फाल्गुन शुक्ल अष्टमी का था। अपने पति के भस्म हो जाने से दुखित रति ने भगवान शिव से कामदेव को पुनर्जीवित करने की याचना की। रति की आठ दिन की तपस्या के बाद भगवान शिव से फाल्गुन पूर्णिमा के दिन कामदेव को जीवित कर दिया। कामदेव के जीवित होने के अवसर को सभी ने उत्सव के रूप में मनाया।