Joshimath Tragedy: शंकराचार्य मठ आया दरारों की जद में... खंडित हुआ शिवलिंग, धंसा शिव मंदिर

By Tatkaal Khabar / 08-01-2023 03:27:12 am | 6621 Views | 0 Comments
#

देहरादून। जोशीमठ में हालात (Joshimath Land Sinking) अब बहुत ज्यादा गंभीर होते जा रहे हैं। शहर में शंकराचार्य मठ (Shankaracharya Math) में भी कई जगहों पर दरारें आ गई हैं, जिससे मठ को खतरा पैदा हो गया है। इस मठ के परिसर में कुछ दिनों से दरारें आनी शुरू हुई थी। मठस्थली में बना शिव मंदिर लगभग पांच इंच धंस गया है। मंदिर में स्थापित स्फटिक के शिवलिंग में भी दरारें आ गई हैं।
जोशीमठ में माधवाश्रम आादि शंकराचार्य ने इस मठ को स्थापित किया था। इस मठ में वैदिक शिक्षा के लिए देशभर से विद्यार्थी आते हैं। इस समय भी इस मठ में साठ विद्यार्थी शिक्षा ले रहे हैं। आदि गुरु शंकराचार्य मठस्थली के भीतर ही शिवमंदिर है। मंदिर के पुजारी वशिष्ठ ब्रहमचारी बताते हैं कि इस मंदिर में वर्ष 2000 में जयपुर से एक स्फटिक का शिवलिंग ला कर स्थापित किया गया था।

1 साल से मंदिर में आ रही थीं दरारें
बताया कि करीब एक साल से मंदिर परिसर में दरारें आ रही थीं। तब उन्हें सामान्य दरार समझ कर सीमेंट से भरवा रहे थे। लेकि कुछ दिनों से हालात और बिगड़ गये और ये दरारें सीमेंट से भी नहीं रूकीं। अब ये दरारें भयावह रूप ले चुकी हैं।


नीचे की ओर धंस चुका है मंदिर
कुछ दिनों पहले ही शिवलिंग में चंद्रमा के आकार की दरार दिखाई दी थी लेकिन अब शिवलिंग में यह दरार बढ़ गयी है। मंदिर करीब छह से सात इंच नीचे की ओर धंस चुका है। दीवारों के बीच गैप बन गया है, जिससे बाहर की रोशनी आ रही है। मंदिर के भीतर लगी टाइलें भी उखड़ गई हैं।

जोशीमठ में भू-धंसाव की घटनाएं

नहीं हटायेंगे खंडित शिवलिंग
मंदिर से खंडित शिवलिंग को हटाने की बात पर पुजारी वशिष्ठ ब्रहम्चारी का कहते हैं कि यह देवभूमि है और यहां के कण-कण में भगवान शिव विराजते हैं। तो य शिवलिंग कैसे खंडित माना जा सकता है। वे इस शिवलिंग को नहीं हटायेंगे। इस मामले में उन्होंने हिमाचल प्रदेश के बिजलेश्वर महादेव मंदिर का उदाहरण दिया। बताया कि बिजलेश्वर महादेव मंदिर के बारे में प्रसिद्ध है कि जब भी बिजली कड़कती है, शिवलिंग के कई टुकड़े हो जाते हैं। लेकिन उसे खंडित नहीं माना जाता। इसी तरह से इस शिवलिंग को भी खंडित नहीं माना जा सकता है।