शिक्षा_स्वास्थ्य देखभाल: एक बड़े केंद्र के रूप में उभरा भारत
केंद्रीय विदेश मंत्री एसo जयशंकर ने वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट के विदेश मंत्रियों के सत्र का नेतृत्व किया, जहां उन्होंने कहा कि भारत ग्लोबल साउथ के देशों के लिए एक शिक्षा और स्वास्थ्य केंद्र के रूप में उभरा है। शिखर सम्मेलन में जयशंकर ने मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) स्थितियों के मामले में भारत के क्षमता-निर्माण कार्यक्रमों और इसकी पहली प्रतिक्रिया गतिविधियों पर प्रकाश डाला, जिससे पता चला कि देश वैश्विक दक्षिण देशों के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल केंद्र के रूप में उभरा है। उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि भारत कोविड महामारी के दौरान लगभग 100 भागीदारों को टीके और 150 से अधिक देशों को दवाइयाँ प्रदान करके अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में लगा रहा। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा भारत सार्वभौमिक पहचान, वित्तीय भुगतान, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, डिजिटल स्वास्थ्य, वाणिज्य, उद्योग और रसद में हमारे गेम-चेंजिंग डिजिटल सार्वजनिक सामान सहित अपने अनुभव और विशेषज्ञता को साझा करने के लिए तैयार है। उन्होंने जलवायु-अनुकूल जीवन शैली को बढ़ावा देने के लिए एक विश्वव्यापी कार्यक्रम अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन और मिशन एलआईएफई का उल्लेख करते हुए अपनी कूटनीति में भारत की प्राथमिकता का प्रमाण दिया। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत लोगों की बेहतरी के लिए समूचे वैश्विक दक्षिण से सरल और स्थायी समाधान की उम्मीद करता है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ वर्चुअल शिखर सम्मेलन के पहले सत्र में अपनी शुरुआती टिप्पणी में खाद्य, ईंधन, उर्वरकों की बढ़ती कीमतों और कोविड-19 महामारी और प्राकृतिक आपदाओं के कारण आर्थिक मंदी पर चिंता व्यक्त की थी। (रिपोर्ट: युगवर्ता