India-America Relations / भारत-US की व्यापारिक दोस्ती कायम, लगातार चौथी बार हासिल किया यह मुकाम

India-America Relations: डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से भारत और अमेरिका के रिश्तों को लेकर दुनिया भर में चर्चा तेज हुई है। हालांकि ट्रंप प्रशासन के दौरान कई मुद्दों पर मतभेद भी उभरे, लेकिन आर्थिक स्तर पर दोनों देशों के संबंध लगातार मजबूत होते रहे। इसका प्रमाण है अमेरिका का लगातार चौथी बार भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बनना। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 131.84 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो दोनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक सहयोग की गवाही देता है।
अमेरिका बना भारत का शीर्ष व्यापारिक साझेदार
भारत के लिए अमेरिका का महत्व सिर्फ रणनीतिक ही नहीं, आर्थिक दृष्टि से भी बेहद खास हो चुका है। वित्त वर्ष 2024-25 में अमेरिका के साथ भारत का निर्यात 11.6% बढ़कर 86.51 अरब डॉलर हो गया, वहीं आयात भी 7.44% बढ़कर 45.33 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इस प्रकार, भारत को अमेरिका के साथ 41.18 अरब डॉलर का व्यापारिक अधिशेष मिला, जो बीते वर्ष 35.32 अरब डॉलर था।
भारत से अमेरिका को निर्यात की जाने वाली प्रमुख वस्तुएं—जैसे औषधि निर्माण और जैविक उत्पाद (8.1 अरब डॉलर), दूरसंचार उपकरण (6.5 अरब डॉलर), कीमती पत्थर, पेट्रोलियम उत्पाद, सोने के आभूषण, और तैयार कपड़े—भारतीय उद्योगों की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को दर्शाते हैं। वहीं, अमेरिका से भारत में कच्चा तेल, कोयला, इलेक्ट्रिक मशीनरी, विमान और हीरे जैसे उत्पाद आयात किए जाते हैं।
चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़ा, बना चिंता का विषय
दूसरी ओर, चीन के साथ भारत का व्यापार संतुलन चिंता का विषय बना हुआ है। वित्त वर्ष 2024-25 में चीन के साथ व्यापार घाटा 17% बढ़कर 99.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो 2023-24 में 85.07 अरब डॉलर था। खास बात यह है कि भारत का चीन को निर्यात 14.5% घटकर 14.25 अरब डॉलर रह गया, जबकि आयात 11.52% बढ़कर 113.45 अरब डॉलर तक पहुंच गया।
इसके बावजूद, चीन 127.7 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के साथ भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना हुआ है। यह स्थिति दर्शाती है कि भारत अभी भी कई आवश्यक वस्तुओं के लिए चीन पर निर्भर है, जिससे व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा है।
यूएई बना तीसरा सबसे बड़ा भागीदार
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने भी भारत के साथ 100.5 अरब डॉलर के व्यापार के साथ अपनी मजबूत उपस्थिति बनाए रखी है और वह तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना हुआ है। यह दर्शाता है कि खाड़ी देशों के साथ भी भारत के आर्थिक संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं।
भविष्य की दिशा: 2030 तक 500 अरब डॉलर का लक्ष्य
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार सहयोग को और मजबूत करने के लिए एक व्यापक व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस समझौते के माध्यम से दोनों देश 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रख रहे हैं। यह न केवल दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि वैश्विक आपूर्ति शृंखला को भी मजबूती देगा।
चीन की रणनीतिक बदलाव की कोशिश
इस बीच, अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। चीन ने अपने शीर्ष व्यापार वार्ताकार को बदलते हुए ली चेंगगांग को नया प्रतिनिधि नियुक्त किया है। यह कदम ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने चीन से आयात पर भारी शुल्क लगा रखे हैं, जिससे चीन के उत्पादों को अमेरिका में 145 प्रतिशत तक का टैरिफ चुकाना पड़ रहा है। इसे चीन की व्यापार रणनीति में संभावित बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।