Rajasthan Politics / राजस्थान में हो सकता है बड़ा बदलाव, वसुंधरा राजे ने PM मोदी से मुलाकात की- सूत्र

Rajasthan Politics: राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर बदलाव की सुगबुगाहट सुनाई दे रही है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली में मुलाकात की है। इसके साथ ही, वर्तमान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के भी दिल्ली दौरे की खबरें सामने आ रही हैं। इन घटनाक्रमों ने सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है।
दिल्ली में हुई अहम बैठक
पिछले रविवार को दिल्ली में राजस्थान की राजनीति को लेकर एक उच्चस्तरीय बैठक होने की खबर है। इस बैठक में बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष और राजस्थान के प्रभारी राधामोहनदास अग्रवाल मौजूद थे। सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में राजस्थान में मंत्रिमंडल और प्रदेश कार्यकारिणी में बड़े बदलावों पर चर्चा हुई। माना जा रहा है कि जल्द ही इन बदलावों की आधिकारिक घोषणा हो सकती है।
वसुंधरा राजे की नाराजगी
हाल ही में झालावाड़ में हुई एक घटना ने वसुंधरा राजे की सक्रियता को फिर से चर्चा में ला दिया है। जानकारी के मुताबिक, शिक्षा विभाग की लापरवाही को लेकर राजे ने तीखी नाराजगी जताई है। झालावाड़ में एक हादसे के बाद वसुंधरा राजे ने न केवल पीड़ित बच्चों और उनके परिवारों से मुलाकात की, बल्कि मुआवजे का ऐलान भी किया। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का झालावाड़ दौरा तय होने के बावजूद वह वहां नहीं पहुंचे। इस घटना ने सियासी हलकों में यह सवाल उठाया है कि क्या भजनलाल शर्मा प्रशासनिक और राजनीतिक फैसलों में उतने प्रभावी नहीं हैं, जितना एक मुख्यमंत्री को होना चाहिए। कई विश्लेषकों का मानना है कि प्रदेश में बड़े नेताओं का दखल भजनलाल के नेतृत्व को कमजोर कर रहा है।
2023 में कैसे छिनी थी वसुंधरा से कुर्सी?
वसुंधरा राजे राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और बीजेपी की एक कद्दावर नेता मानी जाती हैं। उनकी छवि एक मजबूत और स्वतंत्र नेता की रही है। हालांकि, 2023 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 115 सीटों के साथ शानदार जीत हासिल की, लेकिन राजे को मुख्यमंत्री पद के लिए नहीं चुना गया। इसके बजाय, भजनलाल शर्मा को राजस्थान की कमान सौंपी गई। यह फैसला उस समय सियासी हलकों में चर्चा का केंद्र बना था।
बीजेपी ने 2023 में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में नए चेहरों को मौका देने की रणनीति अपनाई। इसका उद्देश्य पुराने नेताओं पर निर्भरता कम करना और नई पीढ़ी को आगे लाना था। कहा जाता है कि वसुंधरा राजे और बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व, विशेष रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के बीच कुछ मतभेद थे। इस वजह से राजे को किनारे कर भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया गया।
क्या बदलाव की बयार बनेगी नई शुरुआत?
वसुंधरा राजे की हालिया सक्रियता और दिल्ली में हुई बैठक ने एक बार फिर उनके नेतृत्व की संभावनाओं को हवा दी है। सवाल यह है कि क्या बीजेपी आलाकमान राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन या मंत्रिमंडल में बड़े बदलाव की ओर बढ़ रहा है? क्या वसुंधरा राजे की सियासी पारी में एक नया अध्याय शुरू होने वाला है?