हमें चीन से उतना ही खतरा है जितना हमारे देश को आतंकवाद से खतरा है: अखिलेश यादव

By Tatkaal Khabar / 29-07-2025 03:11:36 am | 223 Views | 0 Comments
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नई दिल्ली । समाजवादी पार्टी के प्रमुख और लोकसभा सांसद अखिलेश यादव ने चीन के विषय पर सरकार को सावधान किया है। लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा के दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि हमें चीन से उतना ही खतरा है जितना हमारे देश को आतंकवाद से खतरा है। लोकसभा में अखिलेश यादव ने कहा कि पाकिस्तान से आतंकवाद आ रहा है, लेकिन इस मुल्क के पीछे चीन खड़ा है, जिससे हमें सावधान रहना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि समाजवादी ने हमेशा देश की सरकारों को चेताया है कि हमारा खतरा पाकिस्तान नहीं है, बल्कि चीन है। न सिर्फ वह (चीन) समय-समय पर हमारी जमीन छीन रहा है, बल्कि हमारे बाजार को भी छीनने का काम कर रहा है।
सपा प्रमुख ने मांग उठाई कि सरकार को चीन और पाकिस्तान पर लगाम लगाने के लिए 10 या 15 साल के लिए ऐसा फैसला लेना चाहिए, जिससे वहां से हमारा कारोबार कम होता चला जाए। उन्होंने कहा कि अगर चीन से हमारा कारोबार कम नहीं हुआ तो हम भारत को आत्मनिर्भर नहीं बना पाएंगे।
अखिलेश यादव ने सदन में फिर दोहराया कि अगर हमें पाकिस्तान से खतरा है, तो चीन राक्षस है। वह हमारी जमीन और हमारा बाजार दोनों छीन लेगा। उन्होंने सदन में सरकार से सवाल करते हुए कहा, "क्या भारत सीमा पर चीन से बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर बना रहा है? इसका जवाब सरकार को देना चाहिए।"
समाजवादी पार्टी के प्रमुख ने यह भी मांग की कि सरकार को डिफेंस बजट को भी बढ़ाना चाहिए और यह जीडीपी का कम से कम 3 प्रतिशत होना चाहिए।
लोकसभा में सपा प्रमुख ने 'ऑपरेशन महादेव' की टाइमलाइन पर सवाल उठाए। उन्होंने सवाल किया कि 'पहलगाम के आतंकवादियों का एनकाउंटर कल (28 जुलाई) ही क्यों हुआ?"

अखिलेश ने ऑपरेशन सिंदूर को सरकार की विफलता बताते हुए ट्रंप की भूमिका को लेकर भी केंद्र से जवाब मांगा। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर देश की सरकार की विफलता का प्रतीक है। इससे बड़ी विफलता सरकार की और कुछ नहीं हो सकती। इस अपरेशन के दौरान विदेशी लोगों ने दावा किया कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान का युद्ध रुकवाया। इससे देश की संप्रभुता को धक्का लगा, लेकिन एक बार भी इसका खंडन नहीं किया गया। देश की विदेश नीति पूरी तरह फेल है। ऑपरेशन सिंदूर और पहलाम हमले पर दुनिया के किसी देश ने हमारा साथ नहीं दिया। यह हमारी विदेश नीति का संकटकाल है।