पीएम मोदी ने देशवासियों से की 'मन की बात
31 अक्तूबर हम सबके प्रिय सरदार वल्लभभाई पटेल की जयन्ती और हर वर्ष की तरह ‘Run for Unity’ के लिए देश का युवा एकता के लिए दौड़ने को तैयार हो गया है। अब तो मौसम भी बहुत सुहाना होता है।यह ‘Run for Unity’ के लिए जोश को और बढ़ाने वाला है।मेरा आग्रह है कि आप सब बहुत बड़ी संख्या में एकता की इस दौड़ में ‘Run for Unity’ में अवश्य भाग लें। आज़ादी से लगभग साढ़े छह महीने पहले,27 जनवरी 1947 को विश्व कीप्रसिद्ध international magazine ‘Time Magazine’ ने जो संस्करण प्रकाशित किया था,उसके cover page पर सरदार पटेल का फोटो लगा था।अपनी lead story में उन्होंने भारत का एक नक्शा दिया था और ये वैसा नक्शा नहीं था जैसा हम आज देखते हैं।ये एक ऐसे भारत का नक्शा था जो कई भागों में बंटा हुआ था। तब 550 से ज्यादा देशी रियासते थीं।भारत को लेकर अंग्रेजों की रूचि ख़त्म हो चुकी थी, लेकिन वो इस देश को छिन्न-भिन्न करके छोड़ना चाहते थे।‘Time Magazine’ ने लिखा था कि भारत पर विभाजन, हिंसा, खाद्यान्न -संकट, महँगाई और सत्ता की राजनीति से जैसे खतरे मंडरा रहे थे।आगे ‘Time Magazine’ लिखता है कि इन सबके बीच देश को एकता के सूत्र में पिरोने और घावों को भरने की क्षमता यदि किसी में है तो वो है सरदार वल्लभभाई पटेल।‘Time Magazine’ की story लौह पुरुष के जीवन के दूसरे पहलुओं को भी उजागर करती है।कैसे उन्होंने 1920 के दशक में अहमदाबाद में आयी बाढ़ को लेकर राहत कार्यों का प्रबंधन किया। कैसे उन्होंने बारडोली सत्याग्रह को दिशा दी। देश के लिए उनकी ईमानदारी और प्रतिबद्धता ऐसी थी कि किसान, मजदूर से लेकर उद्योगपति तक, सब उन पर भरोसा करते थे।गांधी जी ने सरदार पटेल से कहा कि राज्यों की समस्याएँ इतनी विकट हैं कि केवल आप ही इनका हल निकाल सकते हैं और सरदार पटेल ने एक-एक कर समाधान निकाला और देश को एकता के सूत्र में पिरोने के असंभव कार्य को पूरा कर दिखाया।उन्होंने सभी रियासतों का भारत में विलय कराया। चाहे जूनागढ़ हो या हैदराबाद, त्रावणकोर हो या फिर राजस्थान की रियासतें - वे सरदार पटेल ही थे जिनकी सूझबूझ और रणनीतिक कौशल से आज हम एक हिन्दुस्तान देख पा रहे हैं।एकता के बंधन में बंधे इस राष्ट्र को, हमारी भारत माँ को देख करके हम स्वाभाविक रूप से सरदार वल्लभभाई पटेल का पुण्य स्मरण करते हैं।इस 31 अक्तूबर को सरदार पटेल की जयन्ती तो और भी विशेष होगी - इस दिन सरदार पटेल को सच्ची श्रद्धांजलि देते हुए हम Statue of Unity राष्ट्र को समर्पित करेंगे।गुजरात में नर्मदा नदी के तट पर स्थापित इस प्रतिमा की ऊँचाई अमेरिका के Statue of Liberty से दो गुनी है।ये विश्व की सबसे ऊंची गगनचुम्बी प्रतिमा है। हर भारतीय इस बात पर अब गर्व कर पायेगा कि दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा भारत की धरती पर है।वो सरदार पटेल जो जमीन से जुड़े थे, अब आसमान कीभीशोभा बढ़ाएँगे। मुझे आशा है कि देश का हर नागरिक ‘माँ-भारती’ की इस महान उपलब्धि को लेकर के विश्व के सामने गर्व के साथ सीना तानकरके, सर ऊँचा करके इसका गौरवगान करेगा और स्वाभाविक है हर हिन्दुस्तानी को Statue of Unity देखने का मन करेगा और मुझे विश्वास है हिन्दुस्तान से हर कोने से लोग, अब इसको भी अपना एक बहुत ही प्रिय destination के रूप में पसंद करेंगे।
मेरे प्यारे भाइयों-बहनों,
कल ही हम देशवासियों ने ‘Infantry Day’ मनाया है। मैं उन सभी को नमन करता हूँ जो भारतीय सेना का हिस्सा हैं। मैं अपने सैनिकों के परिवार को भी उनके साहस के लिए salute करता हूँ, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हम सब हिन्दुस्तान के नागरिक ये ‘Infantry Day’ क्यों मानते हैं?यह वही दिन है, जब भारतीय सेना के जवान कश्मीर की धरती पर उतरे थे और घुसपैठियों से घाटी की रक्षा की थी।इस ऐतिहासिक घटना का भी सरदार वल्लभभाई पटेल से सीधा सम्बन्ध है। मैं भारत के महान सैन्य अधिकारी रहे Sam Manekshawका एक पुराना interview पढ़ रहा था। उस interview में Field Marshal Manekshawउस समय को याद कर रहे थे,जब वो कर्नल थे। इसी दौरान अक्तूबर 1947 में, कश्मीर में सैन्य अभियान शुरू हुआ था।Field Marshal Manekshawने बताया कि किस प्रकार से एक बैठक के दौरान कश्मीर में सेना भेजने में हो रहे विलम्ब को लेकर सरदार वल्लभभाई पटेल नाराज हो गए थे। सरदार पटेल ने बैठक के दौरान अपने ख़ास अंदाज़ में उनकी तरफ देखा और कहा कि कश्मीर में सैन्य अभियान में ज़रा भी देरी नहीं होनी चाहिये और जल्द से जल्द इसका समाधान निकाला जाए।इसी के बाद सेना के जवानों ने कश्मीर के लिए उड़ान भरी और हमने देखा कि किस तरह से सेना को सफलता मिली।31 अक्तूबर को हमारी भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी जी की भी पुण्यतिथि है।इंदिराजी को भी आदरपूर्वक श्रद्धांजलि।