केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर अविवादित जमीन मूल मालिकों को लौटाने के लिए अर्जी दी

By Tatkaal Khabar / 29-01-2019 04:58:02 am | 9714 Views | 0 Comments
#

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर बढ़ते दबाव के बीच केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवादित स्थल के आसपास की 67.390 एकड़ अधिग्रहित विवाद रहित भूमि उनके मालिकों को लौटाने की अनुमति के लिए मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में एक आवेदन दायर किया.

इस पहल को लोकसभा चुनावों से कुछ समय पहले केंद्र सरकार का महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. केंद्र सरकार ने इस आवेदन में न्यायालय के 2003 के आदेश में सुधार का अनुरोध किया है. मोदी सरकार ने 33 पृष्ठों के आवेदन में 31 मार्च, 2003 के आदेश का जिक्र करते हुए कहा है कि शीर्ष अदालत ने विवादित भूमि तक यथास्थिति बनाये रखने का आदेश सीमित रखने की बजाय इस आदेश का विस्तार इसके आसपास की अधिग्रहित भूमि तक कर दिया था. अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 से पहले 2.77 एकड़ के भूखंड के 0.313 एकड़ हिस्से में यह विवादित ढांचा मौजूद था जिसे कारसेवकों ने गिरा दिया था. इसके बाद देशभर में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे हुए थे. सरकार ने 1993 में एक कानून के माध्यम से 2.77 एकड़ सहित 67.703 एकड़ भूमि अधिग्रहित की थी. इसमें रामजन्म भूमि न्यास उस 42 एकड़ भूमि का मालिक है जो विवादरहित थी और जिसका अधिग्रहण कर लिया गया था.

भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने मंगलवार को न्यायालय में दायर एक आवेदन में दावा किया है कि सिर्फ 0.313 एकड़ का भूखंड, जिस पर विवादित ढांचा था, भूमि का विवादित हिस्सा है. आवेदन में कहा गया है, आवेदक न्यायालय में यह आवेदन दायर कर अयोध्या में चुनिंदा क्षेत्र के अधिग्रहण कानून, 1993 के तहत अधिग्रहित अतिरिक्त भूमि उनके मालिकों को सौंपने का कर्तव्य पूरा करने की न्यायालय से अनुमति चाहता है. आवेदन में शीर्ष अदालत के 31 मार्च, 2003 के आदेश में सुधार का अनुरोध किया गया है. इस आदेश के तहत केंद्र सरकार को विवाद रहित अधिग्रहित भूमि सहित समूची भूमि के मामले में ‘यथास्थिति' बनाये रखने का निर्देश दिया गया था. अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर इलाहाबाद उच्च नयायालय ने 2010 के फैसले में 2.77 एकड़ भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर बराबर वितरित करने का आदेश दिया था.

उच्च न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में 14 अपीलें लंबित हैं जिन पर 29 जनवरी को पांच सदस्यीय पीठ को विचार करना था, परंतु एक न्यायाधीश के उपस्थित नहीं होने की वजह से यह पीठ सुनवाई नहीं कर सकी. बहरहाल, भाजपा ने मंगलवार को संकेत दिया कि अयोध्या में विवादास्पद राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद स्थल के पास अधिग्रहित की गयी 67 एकड़ जमीन मूल मालिकों को लौटाने की अनुमति मांगने के लिए केंद्र सरकार की ओर से उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका पवित्र नगरी में राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेगी.