लोक सभा चुनाव 11 अप्रैल को पहले चरण में इन सीटों पर सुपरहिट मुकाबला
11 अप्रैल को 2019 लोकसभा चुनावों के पहले चरण में 20 राज्यों की 91 सीटों पर मतदान होगा। इनमें से कुछ ऐसी सीटें हैं जिनपर उम्मीदवारों की घोषणा के बाद से ही सुपरहिट मुकाबले की तस्वीर बनी हुई है। 2019 के चुनावी दंगल के ऐसे ही कुछ मुकाबलों पर नजर डालिए-
बागपत लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश का सियासी गढ़ और जाटलैंड मानी जाती है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह यहां से ही सांसद रह चुके हैं और उसके बाद उनके बेटे अजित सिंह ने यहां पर कई बार चुनाव जीता। 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने यहां परचम लहराया और मुंबई पुलिस के कमिश्नर रह चुके सत्यपाल सिंह सांसद चुने गए। इस बार बागपत में भाजपा की तरफ से डॉ. सत्यपाल सिंह और रालोद के जयंत चौधरी मैदान में हैं।
उत्तर प्रदेश की वीआईपी सीटों में गिनी जाने वाली गाजियाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा के वीके सिंह और कांग्रेस की डॉली शर्मा आमने सामने होंगी। गाजियाबाद लोकसभा सीट बहुत पुरानी नहीं है। अब तक यहां दो ही बार लोकसभा चुनाव हुए हैं और दोनों बार यह सीट भाजपा के खाते में गई है। 2014 के आम चुनावों में जनरल वीके सिंह ने कांग्रेस उम्मीदवार राज बब्बर को करीब 5 लाख से भी अधिक वोटों से हरा कर जीत हासिल की थी। सपा-बसपा की तरफ से मैदान में सुरेश बंसल की एंट्री ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।
गौतमबुद्ध नगर उत्तर प्रदेश की प्रतिष्ठित सीटों में से एक है। यहां के वर्तमान सांसद महेश शर्मा केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं। इस बार गौतमबुद्ध नगर में भाजपा के डॉ महेश शर्मा और कांग्रेस के डॉ अरविंद कुमार सिंह के बीच अच्छा मुकाबला देखने को मिल सकता है। अरविंद युवा हैं। माता-पिता दोनों राजनीति में रहे हैं। मां-पिता कई पार्टियों से चुनाव लड़ चुके हैं। मां राजकुमारी चौहान, अलीगढ़ से 2009 में सांसद रहीं। अरविंद खुद 2014 में बसपा के टिकट पर अलीगढ़ से लड़े लेकिन भाजपा के सतीश गौतम से हार गए। वो दूसरे स्थान पर रहे। यहां 80 प्रतिशत हिंदू जनसंख्या है, इनमें से 20 से अधिक गुर्जर समाज से आते हैं, जबकि 14 फीसदी जनसंख्या मुस्लिम समुदाय की है। 23 लाख शहरी और ग्रामीण वोटर। 70 फीसदी ग्रामीण वोटर। यहां करीब साढ़े छह लाख गुर्जर वोट यहां हैं। इसके अलावा चार लाख राजपूत और ठाकुर। इतने ही मुस्लिम और दलित। जाट, यादव, ब्राह्मण मिलाकर करीब 5 लाख। सपा-बसपा गठबंधन ने सतवीर नागर को खड़ा किया है जो गुर्जर समुदाय से आते हैं।
मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश की बेहद संवेदनशील लोकसभा सीटों में आता है। यहां से भाजपा के संजीव बाल्यान एक बार फिर मैदान में हैं। लेकिन उन्हें चुनौती देने उतर रहे हैं, राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष और दिग्गज अजित सिंह। 2014 में संजीव बाल्यान इस सीट पर करीब 59 फीसदी वोटों के साथ 4 लाख वोट के बड़े अंतर से जीते थे। उन्होंने बसपा के कादिर राणा को मात दी थी। लेकिन, इस बार मुकाबला आसान नहीं होगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश को रालोद का गढ़ माना जाता है। इस इलाके में उनकी अच्छी पैठ है। अजित सिंह खुद कद्दावर और तजुर्बेकार नेता हैं। तो इस सीट पर भी मुकाबला कड़ा रहेगा।
उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों में से एक हरिद्वार धार्मिक नगरी के नाम से मशहूर है। वर्तमान में यहां से भारतीय जनता पार्टी के नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक सांसद हैं। इस बार हरिद्वार में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है। एक तरफ जहां भाजपा के रमेश पोखरियाल चुनाव के लिए तैयार हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने अंबरीश कुमार को रण में उतारा है।
कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली महाराष्ट्र की नागपुर लोकसभा सीट पर 2014 में भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी ने भारी मतों से जीत दर्ज भाजपा का परचम लहराया था। आरएसएस मुख्यालय होने के बावजूद यहां से सिर्फ दो बार ही भाजपा चुनाव जीत पाई है। इस बार एक तरफ नागपुर सीट से कांग्रेस ने भाजपा के ही पूर्व सांसद नाना पटोले को टिकट दिया है, वहीं भाजपा ने नितिन गडकरी को दोबारा मैदान में उतारा है। गडकरी, भाजपा का बड़ा नाम और बड़ा चेहरा हैं।
बिहार में पहले चरण में कुल चार सीटों पर मतदान होना है। इनमें से एक है बिहार की ऐतिहासिक धरोहर के लिए जानी जाने वाली जमुई लोकसभा सीट। जमुई संसदीय क्षेत्र में 4 विधानसभा हैं, जिनपर राजद सांसद जय प्रकाश नारायण यादव और जदयू नेता नरेन्द्र सिंह की अच्छी पकड़ है। जदयू के दामोदर राउत अति पिछड़ा वर्ग के नेता माने जाते हैं। इस क्षेत्र में जदयू, राजद और भाजपा के मतदाताओं की संख्या अधिक है। यहां एनडीए की तरफ से और चिराग कुमार पासवान और महागठबंधन के भूदेव चौधरी आमने सामने हैं। चिराग, लोजपा अध्यक्ष राम विलास पासवान के बेटे हैं। वो पासवान जिन्हें 'मौसम वैज्ञानिक' कहा जाता है। यानी वो भांप लेते हैं कि हवा का रुख किधर है। उनकी राजनीतिक सूझबूझ का फायदा तो चिराग को मिलेगा लेकिन खुद का राजनीतिक तजुर्बा रुकावट भी बन सकता है।
बिहार और झारखंड की सीमा पर पड़ने वाली गया लोकसभा सीट का इतिहास राजनीतिक उठा पटक से भरपूर रहा है। वर्तमान में यहां से भाजपा के हरि मांझी सांसद हैं लेकिन इतिहास में गया को कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। 2004 और 2019 के चुनावों में यहां भाजपा का प्रदर्शन मजबूत रहा। 2014 में हरि मांझी ने राजद उम्मीदवार राजेश कुमार मांझी को हराकर ये सीट हासिल की थी। अभी यहां एनडीए ने विजय कुमार मांझी और महागठबंधन ने जीतन राम मांझी को मैदान में उतारा है। मांझी, बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उन्हें मांझी समुदाय के अलावा मुस्लिम-यादव का साथ मिलता दिख रहा है लेकिन स्थानीय चर्चाओं के मुताबिक, गया में प्रधानमंत्री की रैली के बाद विजय कुमार के लिए समर्थन बढ़ा है।
तेलंगाना लोकसभा चुनाव में हैदराबाद महत्वपूर्ण सीटों की लिस्ट में सबसे आगे है। भाजपा, कांग्रेस और टीआरएस के बीच कांटे की टक्कर होने के कारण यहां मुकाबले की तस्वीर त्रिकोणिय है। हैदराबाद से भाजपा के डॉक्टर भगवंत राव, कांग्रेस के फिरोज खान और टीआरएस के असदुद्दीन ओवैसी के बीच सुपरहिट मुकाबला होगा। हालांकि यहां ओवैसी परिवार की इतनी मजबूत पकड़ है कि पिछले ढाई दशक से उनके किसी भी उम्मीदवार को हैदराबाद लोकसभा सीट से हार नहीं मिली है।
पहले चरण के मतदान में शामिल ओडिशा की 4 लोकसभा सीटों में से सबसे चर्चित सीट है नबरंगपुर। यहां भाजपा के बलभद्र मांझी, कांग्रेस के प्रदीप मांझी और बीजद के रमेश मांझी के बीच मुकाबला होना है। अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित नबरंगपुर लोकसभा सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही रही है। इस सीट पर अबतक 15 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें से 11 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है। 2014 में बीजद ने मात्र 2000 वोटों से कांग्रेस को पछाड़ कर सीट अपने नाम कर लीया था।
जम्मू कश्मीर का राजनीतिक माहौल गर्म है। पीडीपी प्रभावित संसदीय क्षेत्र बारामूला पर पहले चरण में चुनाव होना है। यहां भाजपा, कांग्रेस और पीडीपी के बीच कड़ी टक्कर है। इस संसदीय सीट में तीन जिले बारामुला, कुपवाड़ा तथा बांदीपोरा आते हैं। बांदीपोरा सबसे अधिक आतंकवाद प्रभावित है। चूंकि उड़ी पाकिस्तान से सटा हुआ है। इस वजह से यहां कई फिदायीन हमले हो चुके हैं। मुख्य रूप से इस संसदीय सीट पर एआईपी के इंजीनियर रशीद, भाजपा के जीएम वार, पीडीपी के कयूम वानी, नेकां के मोहम्मद अकबर लोन तथा पीपुल्स कांफ्रेंस के राजा एजाज अली के बीच मुकाबला है।