TRIPLE TALAQ BILL : मोदी सरकार की बड़ी जीत, लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी पास हुआ तीन तलाक बिल

By Amitabh Trivedi / 30-07-2019 02:10:11 am | 10492 Views | 0 Comments
#

नई दिल्ली: तीन तलाक (Triple Talaq Bill) पर नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Govt) को बड़ी जीत मिली है. आखिरकार मुस्लिम महिलाओं (Muslim Women) से एक साथ तीन तलाक (Triple Talaq) को अपराध करार देने वाला ऐतिहासिक विधेयक राज्यसभा (Rajya Sabha) से भी पारित हो गया है. यह विधेयक लोकसभा से पहले ही पारित हो चुका है. इसके साथ ही इस बिल के कानून बनने का रास्ता साफ हो गया है.

राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून के तौर पर लागू हो जाएगा. उच्च सदन में इस बिल के पक्ष में 99 वोट पड़े, जबकि 84 सांसदों ने इसके विरोध में मतदान किया. कई विपक्षी दल वोटिंग के समय सदन में मौजूद नहीं रहे. बीएसपी, पीडीपी, टीआरएस, जेडीयू, एआईएडीएमके और टीडीपी जैसे कई दलों के वोटिंग में हिस्सा न लेने के चलते सरकार को यह बिल पास कराने में आसानी हुई. बिल की मंजूरी से विपक्ष की कमजोर रणनीति भी उजागर हुई. इस विधेयक का तीखा विरोध करने वाली कांग्रेस कई अहम दलों को अपने साथ बनाए रखने में असफल रही.



बिल के पक्ष में सरकार की दलील
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि तीन तलाक संबंधी विधेयक मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के मकसद से लाया गया है और उसे किसी राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिये. कानून मंत्री ने राज्यसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 को चर्चा एवं पारित करने के लिए पेश करते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक फैसले में इस प्रथा पर रोक लगाने के बावजूद तीन तलाक की प्रथा जारी है. इस विधेयक को लोकसभा से पिछले सप्ताह पारित किया जा चुका है. रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'इस मुद्दे को राजनीतिक चश्मे या वोट बैंक की राजनीति के नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिये. यह मानवता का सवाल है. यह महिलाओं को न्याय दिलाने के मकसद से एवं उनकी गरिमा तथा अधिकारिता सुनिश्चित करने के लिए पेश किया गया है. इससे लैंगिक गरिमा एवं समानता भी सुनिश्चित होगी.


विपक्षी पार्टियों ने जताया कड़ा ऐतराज
राज्यसभा में कांग्रेस सहित अधिकतर विपक्षी दलों के साथ साथ अन्नाद्रमुक, वाईएसआर कांग्रेस ने भी तीन तलाक संबंधी विधेयक का कड़ा विरोध करते हुए इसे सेलेक्ट कमेटी में भेजे जाने की मांग की. विपक्षी दलों के सदस्यों ने इसका मकसद 'मुस्लिम परिवारों को तोड़ना' बताया. उच्च सदन में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 पर चर्चा में भाग लेते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने सवाल उठाया कि जब तलाक देने वाले पति को तीन साल के लिए जेल भेज दिया जाएगा तो वह पत्नी एवं बच्चे का गुजारा भत्ता कैसे देगा? उन्होंने कहा, 'यह घर के चिराग से घर को जलाने की कोशिश' की तरह है. उन्होंने कहा कि इस विधेयक का मकसद 'मुस्लिम परिवारों को तोड़ना' है. उन्होंने कहा कि इस्लाम में शादी एक दिवानी समझौता है.

चर्चा में भाग लेते हुए जेडीयू के वशिष्ठ नारायण सिंह ने विधेयक का विरोध किया. उन्होंने कहा कि वह न तो विधेयक के समर्थन में बोलेंगे और न ही इसमें साथ देंगे. 

उधर, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन ने तीन तलाक संबंधित विधेयक के प्रावधानों की चर्चा करते हुए कहा कि यदि तलाक देने वाले पति को जेल में डाल दिया गया तो वह जेल में रहने के दौरान अपनी पत्नी एवं बच्चों को गुजारा भत्ता कैसे दे पाएगा?


रविशंकर प्रसाद ने हिंदू मैरिज ऐक्ट समेत कई कानूनों का जिक्र करते हुए कहा कि 1955 में जब बना तो यह रखा गया कि पति की उम्र 21 साल और पत्नी की 18 वर्ष होनी चाहिए. इसके उल्लंघन पर दो साल की सजा का प्रावधान किया गया. यदि पत्नी के रहते हुए पति ने दूसरी शादी की या फिर पत्नी ने दूसरा पति कर लिया तो 7 साल की सजा होगी. 55 साल पहले कांग्रेस यह किया था और हम इस अच्छे काम के साथ हैं.