चिदंबरम के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को नई उड़ान देने के लिए तैयार अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह गुरुवार को नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (NATGRID) की शुरुआत के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक करने जा रहे हैं. यह प्रोजेक्ट कभी पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम का ड्रीम प्रोजेक्ट हुआ करता था जो फिलहाल तिहाड़ जेल की हवा खा रहे हैं.मिली जानकारी के मुताबिक उच्च अधिकारी अमित शाह के सामने इस प्रोजेक्ट को लेकर अपना प्रेजेंटेशन देंगे. नेटग्रिट का गठन 2008 में मुंबई आतंकी हमले के बाद NIA के साथ ही किया गया था लेकिन गठन के 11 साल बाद भी यह प्रोजेक्ट आज तक सुचारू ढंग से काम नहीं कर सका.
साल के अंत तक शुरुआत
सूत्रोंगृह मंत्री न सिर्फ इसे पुनर्जीवित करना चाहते हैं बल्कि साल के अंत तक यह काम करना शुरू भी कर देगी. अंधेरिया मोड़ पर एजेंसी का दफ्तर लगभग तैयार हो चुका है जहां वैज्ञानिक उपकरणों से लेकर बड़ी-बड़ी स्क्रीन लगाई जानी हैं. हालांकि काम खत्म करने की डेडलाइन दिसंबर तक रखी गई है और तभी इस प्रोजेक्ट का विधिवत तरीके से उद्घाटन हो पाएगा.
क्या नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड
नेटग्रिड भारत सरकार की सुरक्षा एजेंसियों को जोड़ने वाली एक खुफिया ग्रिड है जो सभी एजेंसियों का डाटा एक-दूसरे के साथ साझा करने के मकसद से बनाई गई थी. हालांकि इसके गठन के बाद से ही कई तरह की बाधाओं के चलते यह सुचारू ढंग से काम नहीं कर पाई. अब सूत्रों को इस बात का भरोसा है कि एक बार यह एजेंसी फिर से शुरू हो गई तो आतंकी संगठनों और संदिग्धों को ट्रैक करने में काफी मदद मिलेगी.
सूत्र ने बताया कि अगर किसी संदिग्ध को पकड़ने से पहले उसकी जन्मकुंडली एजेंसी के पास होगा तो यह काम काफी आसान हो जाएगा. इससे एक क्लिक में आप संदिग्ध का मोबाइल नंबर से लेकर उसकी संपत्ति, मौजूदा लोकेशन, बैंक खाते और यात्रा की जानकारी हासिल कर पाएंगे. एक अन्य सूत्र ने बताया कि ऐसा पहले सिर्फ फिल्मों में होता था लेकिन अब अगर को संदिग्ध ट्रेन में सफर कर रहा है तो हम उसको रियर टाइम पर ट्रैक कर सकेंगे, रेलवे और एयरलाइंस के पास रियल टाइम ट्रैकिंग की सुविधा होगी. बैंक उसे रिजर्वेशन से जुड़ी जानकारी देगा लेकिन हम इसमें काफी सावधानी बरतने की जरूरत होगी.
कहां रह गई खामी
देश की सभी जांच एजेंसियों का डेटा नेटग्रिड के पास जमा होगा. मसलन अगर हाफिज सईद के खिलाफ अबतक जांच एजेंसियों ने जो भी सबूत जुटाए हैं, जानकारी जमा की है, वह सभी एजेंसियों के साथ साझा की जा सकेगी. हर संदिग्ध के खिलाफ जमा हुए डेटा को रियल टाइम ट्रैक किया जा सकेगा. सूत्रों ने बताया कि अभी किसी को भी नहीं पता कि नेटग्रिड को विफल हो गया.
साल 2008 में इस प्रोजेक्ट की जरूरत थी लेकिन सुचारू ढंग से यह कारगर नहीं हो सका.