NPR पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एनपीआर प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग को लेकर की याचिका को इनकार कर दिया है।लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया है।
एनपीआर पर रोक लगाने के लिए सोमवार को जनहित दायर की गई थी। याचिका में तर्क दिया गया है कि आधार में डेटा की सिक्योरिटी की गारंटी है, लेकिन नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियमावली, 2003 के तहत इकट्ठा की जा रही जानकारी के दुरुपयोग से किसी भी सुरक्षा की गारंटी नहीं है।
पिछले साल दिसंबर में नरेंद्र मोदी सरकार की कैबिनेट ने एनपीआर को मंजूरी दे दी है। जिसके तहत सभी भारतीय नागरिकों के बायोमेट्रिक और वंशावली को डेटा तैयार किया जाएगा। 1 अप्रैल से 30 सितंबर, 2020 के बीच असम के अलावा देश भर में घरों की गिनती के दौरान एनपीआर के लिए डाटा एकत्रित किया जाएगा। एक अप्रैल से शुरू होने वाली एनपीआर में आधार, पासपोर्ट नंबर, बैंक अकाउंट, वोटर आईडी कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस की जानकारी देना आवश्यक होगा। गृह मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक किसी भी व्यक्ति के पास इनमें से किसी भी तरह का कोई प्रूफ या कोई दस्तावेज होगा तो उसको इसकी जानकारी देना अनिवार्य होगा। हालांकि इन दस्तावेजों में पैनकार्ड की जानकारी देने वाला कॉलम विरोध करने के बाद हटा दिया गया है। क्या है NPR? गौरतलब है कि एनपीआर भारत में रहने वाले मूल निवासियों का एक रजिस्टर है, जिसमें उनके मूल पते की जानकारी होती है। ये नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों के तहत स्थानीय, उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है। इसके तहत कोई भी निवासी जो 6 महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में निवास कर रहा है तब उसे NPR में अनिवार्य रूप से पंजीकरण करना होता है।