उत्तराखंड में लागू होगा UCC, शादी, तलाक,लिव इन रिलेशनशिप के बदल जाएंगे नियम, जानिए क्या-क्या होंगे बदलाव?
UNIFORM CIVIL CODE: उत्तराखंड में 26 जनवरी से यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने जा रहा है। इसको लेकर धामी सरकार की और से तैयारियां शुरू हो गई हैं। यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनने जा रहा है। ऐसे में यूसीसी लागू होते ही कई नियम बदल जाऐंगे। खासकर शादी और लिव इन रिलेशनशिप को लेकर कई नए नियम शुरू हो जाएंगे।
ऐसे में आइए जानने की कोशिश करते हैं कि यूसीसी के बाद क्या क्या बदलाव हो जाएगा। यूसीसी लागू होने के बाद शादी, तलाक, लिव-इन रिलेशनशिप, वसीयत, उत्तराधिकार सहित तमाम मामलों में एक समान कानून लागू होगा। यूसीसी लागू होने पर हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, और अन्य समुदायों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ को हटाकर समान कानून लागू हो जाएगा। यह कानून बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करेगा, बच्चों को संपत्ति और पारिवारिक अधिकारों में समानता मिलेगी। यूसीसी लागू होते ही एक माह के अंदर शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। यूसीसी के तहत पोर्टल में सभी लिव-इन रिलेशन का शादी की तरह ही रजिस्ट्रेशन होगा। इसके अलावा गवाहों की वीडियो रिकॉर्डिंग, फोटो और आधार जैसी डिटेल की जरूरत होगी। लिव-इन में रहने वाले युगल को पोर्टल में अपने पार्टनर के नाम, उम्र का प्रमाण पत्र, राष्ट्रीयता, धर्म, पूर्व संबंध स्थिति और फोन नंबर जैसी जानकारी दर्ज करनी होगी।
यूसीसी से जुड़ी खास बातें:
उत्तराखंड में इसी महीने लागू होने वाला यूनिफॉर्म सिविल कोड, इसके बारे में सबकुछ समझिए" विवाह और तलाक से जुड़े प्रमाणपत्र, लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण, वसीयत और उत्तराधिकार संबंधी प्रावधानों को ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से संचालित किया जाएगा। उत्तराखंड के दूरस्थ गांवों तक इन सेवाओं को पहुंचाने के लिए जनसेवा केंद्रों (सीएससी) की मदद ली जाएगी। इसमें आधार आधारित सत्यापन, 22 भारतीय भाषाओं में एआई अनुवाद, और 13 से अधिक विभागों के डाटा समन्वय की सुविधा होगी। लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण और समाप्ति प्रक्रिया को भी सरल बनाया गया है। इसमें एक पक्ष द्वारा समाप्ति आवेदन पर दूसरे पक्ष की पुष्टि अनिवार्य होगी। हर दंपती के लिए विवाह और तलाक का पंजीकरण अनिवार्य होगा। नियमों का पालन न करने पर 25 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। तलाक के मामलों में महिलाएं भी पुरुषों के समान अधिकारों और कारणों का हवाला देकर तलाक ले सकेंगी। हलाला और इद्दत जैसी प्रथाओं पर रोक लगाई जाएगी। लिव-इन में रहने वाले हर व्यक्ति के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा। इन युगलों को पंजीकरण रसीद से ही किराए पर घर, हॉस्टल या पीजी लेने की अनुमति होगी। लिव-इन में जन्मे बच्चों को जैविक संतान का दर्जा मिलेगा और उन्हें समान अधिकार प्राप्त होंगे। उत्तराधिकार संबंधी प्रावधानों में बेटा और बेटी को बराबर अधिकार दिए जाएंगे। वसीयत के पंजीकरण, संशोधन, रद्दीकरण और पुनर्जीवन की प्रक्रिया को भी ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से किया जाएगा।