Kanpur Encounter: चौबेपुर के एसओ रहे विनय तिवारी और बीट प्रभारी केके शर्मा गिरफ्तार
लखनऊ: आठ पुलिसवालों की हत्या करने के बाद विकास दुबे अभी भी पुलिस की गिरफ्त से फरार है। लेकिन उसको दबोचने के लिए पुलिस की करीब 25 लगी हुई हैं। ऐसे में खबर आई है कि चौबेपुर के पूर्व एसओ विनय तिवारी और बीट प्रभारी केके शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया है। विनय तिवारी और विकास दुबे के बीच संपर्क होने की बात कही जा रही है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट में तो यह भी कहा गया है कि विनय तिवारी ने ही विकास दुबे को पुलिस के बारे में सूचना दी थी। इसके साथ ही उसने गांव की बिजली भी कटवाई। हालांकि इसके पीछे उसका तर्क है कि बदमाश पुलिस को रोशनी में आसानी से निशाना बना रहे थे, जिसको देखते हुए उसने बिजली कटवाने का निर्णय किया। आईजी मोहित अग्रवाल और एसएसपी दिनेश कुमार पी ने विनय तिवारी के गिरफ्तार होने की पुष्टि की है। विनय तिवारी पर मुठभेड़ के समय पुलिस टीम की जान खतरे में डालने, मौके से फरार होने और विकास दुबे से संबंध रखने का आरोप है।
इससे पहले फरीदाबाद से गिरफ्तार हुए विकास दुबे के 3 साथियों में से 2 आरोपियों को न्यायिक हिरासत पर भेजा गया जबकि एक आरोपी को ट्रांजिट रिमांड पर भेजा गया। बताया जा रहा है कि इन लोगों ने विकास दुबे की भागने में मदद की। इसके साथ ही इनमें से एक आरोपी प्रभात मुठभेड़ वाले दिन विकास दुबे के साथ मौजूद था। खबर आ रही है कि प्रभात को लेकर पुलिस कानपुर के लिए रवाना हो गई है, ताकि उस दिन के बारे में सही से जानकारी इकट्ठा की जा सके।
सिपाही अजय ने बताई कानपुर कांड की खौफनाक कहानी
कानपुर में 2 जुलाई की उस रात को हुए खौफनाक कांड में बुलंदशहर का घायल सिपाही अजय कश्यप अस्पताल से अपने घर डिबाई पहुंचा हैं। ऑपरेशन में शामिल अजय उस स्याह रात का चश्मदीद भी है, जिसने मौत औऱ अपने साथियों को दम तोड़ते हुए बहुत करीब से देखा है। घायल सिपाही अजय ने खौफनाक ऑपरेशन का सच सामने रखा तो सभी के रोंगटे खड़े हो गए।
अजय ने बताया, ‘उस दिन 2 तारीख की रात थी। एसओ सर के पास किसी का फोन आया था कि हमें दबिश में जाना है। वहां 3 थानों की पुलिस आ रही थी। चौबेपुर, शिवराजपुर और हमारे बिठूर की। हमारे थाने से 10 लोग गए थे। सबकी गाड़ियां रास्ते में आकर मिल जाती हैं। गाड़िया बिकरू गांव के बाहर खड़ी होती हैं। हम इससे पहले उस गांव में कभी नहीं गए। हम उस गांव से बिल्कुल अंजान थे। हमें नहीं पता था कि कौन सी गली कहां जा रही है। हम गाड़ियों से उतरे और पैदल चल दिए। कोई ब्रीफिंग नहीं की गई हमारी कि हम किसके यहां जा रहे हैं, कहां जा रहे हैं। उसका मकान गाड़ियों से करीब 200 मीटर के आसपास होगा। हम वहां पहुंचे तो रास्ते में बिल्कुल अंधेरा था। वहां एक जेसीबी खड़ी थी। जेसीबी पार करने के बाद हमारे स्टाफ में से किसी ने टॉर्च मारी विकास दूबे की छत की तरफ तो वहां एक आदमी दिखाई दिया। हम घर के कोने तक ही पहुंच पाते हैं कि अचानक से फायरिंग होती है, फायरिंग बहुत ही जबरदस्त होती है।’
कम से कम 20 से 22 राउंड पहली बार में ही आए। राजेश के 2 गोली लगी, एसओ सर के गोली लगी, मेरे हाथ में गोली लगी, पैर में छर्रे लगे। हमें एक आड़ दिखाई दी दीवार की, दीवार की आड़ लेकर हमने कवरिंग फायरिंग की। लेकिन अंधेरा बहुत था, हमें बदमाश दिखाई नहीं दे रहे थे।