नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में 'व्हाट टू थिंक' के बजाय 'हाऊ टू थिंक' पर फोकस- PM मोदी

By Tatkaal Khabar / 07-08-2020 02:50:33 am | 15298 Views | 0 Comments
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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) पर एक कॉन्क्लेव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग स्पीच में कहा कि आज देशभर में इसकी व्यापक चर्चा हो रही है. अलग-अलग क्षेत्र के लोग, अलग-अलग विचारधाराओं के लोग, अपनी राय दे रहे हैं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति को रिव्यु कर रहे हैं. ये एक हेल्दी डिबेट है, ये जितनी ज्यादा होगी, उतना ही लाभ देश की शिक्षा व्यवस्था को मिलेगा. इस दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने कहा कि शिक्षा नीति पब्लिक डोमेन पर डालने के बाद जो सवा दो लाख से भी ज्यादा सुझाव आए हैं उस एक-एक सुझाव का विश्लेषण करने के बाद जो अमृत निकला है वो आज आपके सामने है.


पीएम मोदी ने अपने सम्बोधन में कहा ''आप सभी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के इम्प्लिमेंटेशन से सीधे तौर पर जुड़े हैं और इसलिए आपकी भूमिका बहुत ज्यादा अहम है. जहां तक राजनीतिक इच्छाशक्ति की बात है, मैं पूरी तरह कमिटेड हूं, मैं पूरी तरह से आपके साथ हूं.'' प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कहा ''हर देश, अपनी शिक्षा व्यवस्था को अपनी नेशनल वैल्यूज़ के साथ जोड़ते हुए, अपने नेशनल गोल्स के अनुसार रिफॉर्म करते हुए चलता है. मकसद ये होता है कि देश की शिक्षा व्यवस्था, अपनी वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को फ्यूचर रेडी रखे, फ्यूचर रेडी करे.''

पीएम ने कहा ''आज गुरुवर रविंद्र नाथ ठाकुर की पुण्यतिथि भी है. वो कहते थे- उच्चतम शिक्षा वो है जो हमें सिर्फ जानकारी ही नहीं देती बल्कि हमारे जीवन को समस्त अस्तित्व के साथ सद्भाव में लाती है.' निश्चित तौर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति का बृहद लक्ष्य इसी से जुड़ा है.'' उन्होंने कहा ''इस बात में कोई विवाद नहीं है कि बच्चों के घर की बोली और स्कूल में पढ़ाई की भाषा एक ही होने से बच्चों के सीखने की गति बेहतर होती है. ये एक बहुत बड़ी वजह है जिसकी वजह से जहां तक संभव हो, पांचवी तक, बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही पढ़ाने पर सहमति दी गई है.''

पीएम मोदी ने कहा ''अभी तक जो हमारी शिक्षा व्यवस्था है, उसमें 'व्हाट टू थिंक' पर फोकस रहा है जबकि इस शिक्षा नीति में 'हाऊ टू थिंक' पर बल दिया जा रहा है. ये मैं इसलिए कह रहा हूं कि आज जिस दौर में हम हैं, वहां इन्फोर्मेशन और कंटेट की कोई कमी नहीं है''. उन्होंने कहा ''अब कोशिश ये है कि बच्चों को सीखने के लिए इन्क्वायरी बेस्ड, डिस्कवरी बेस्ड, डिस्कशन बेस्ड और एनालिसिस बेस्ड तरीकों पर जोर दिया जाए. इससे बच्चों में सीखने की ललक बढ़ेगी और उनके क्लास में उनका पार्टिसिपेशन भी बढ़ेगा''.

पीएम मोदी ने कहा ''उच्च शिक्षा को स्ट्रीम्स से मुक्त करने, मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट, क्रडिट बैंक के पीछे यही सोच है. हम उस युग की तरफ बढ़ रहे हैं जहां कोई व्यक्ति जीवन भर किसी एक प्रोफेशन में ही नहीं टिका रहेगा. इसके लिए उसे निरंतर खुद को रि-स्किल और अप-स्किल करते रहना होगा''. उन्होंने कहा ''जब गांवों में जाएंगे, किसान को, श्रमिकों को, मजदूरों को काम करते देखेंगे, तभी तो उनके बारे में जान पाएंगे, उन्हें समझ पाएंगे, उनके श्रम का सम्मान करना सीख पाएंगे. इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्र शिक्षा और श्रम की गरिमा पर बहुत काम किया गया है''.