आनंदीबेन पटेल ने ‘पण्डित दीनदयाल जी का एकात्म मानवदर्शन: सतत् विकास का व्यवहार्य मार्ग’ विषयक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का किया उद्घाटन

By Tatkaal Khabar / 12-02-2021 12:41:52 pm | 14787 Views | 0 Comments
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लखनऊ: 12 फरवरी, 2021

भारतीय संस्कृति एवं परम्परा के प्रतीक, राजनीति के पुरोधा, बहुमुखी प्रतिभा के धनी और लक्ष्य अंत्योदय-प्रण अंत्योदय-पंथ अंत्योदय... एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय देश के उन महान सपूतों में थे, जिन्होंने देश और समाज की सेवा करते हुए अपना सारा जीवन राष्ट्र के चरणों में अर्पित कर दिया। ये विचार उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज राजभवन लखनऊ से दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में स्थापित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ द्वारा आयोजित ‘पण्डित दीनदयाल जी का एकात्म मानवदर्शन: सतत् विकास का व्यवहार्य मार्ग’ विषयक त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आॅनलाइन उद्घाटन करतेपण्डित दीनदयाल जी का सामाजिक जीवन समरसता व राष्ट्रभक्ति का
अनुपम उदाहरण

पण्डित दीनदयाल जी का मानवतावादी दर्शन समस्त मानव
के लिये कल्याणकारी

आत्मनिर्भर किसानों से होगी अर्थव्यवस्था मजबूत

हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि पं0 दीनदयाल उपाध्याय सामान्य व्यक्ति, सक्रिय कार्यकर्ता, कुशल संगठक और मौलिक विचारक के साथ-साथ समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री एवं दार्शनिक भी थे। एकात्म मानववाद व अंत्योदय के विचारों से उन्होंने देश को एक प्रगतिशील विचारधारा देने का काम किया। उनका सामाजिक जीवन समरसता व राष्ट्रभक्ति का अनुपम उदाहरण है।
राज्यपाल ने कहा कि दीनदयाल जी ने दुनिया के समक्ष उपस्थित चुनौतियों से लड़ने के लिये जिस तत्व चिन्तन को प्रस्तुत किया, उसे ‘एकात्म मानवदर्शन के रूप में जाना जाता है। देश की आर्थिक समस्याओं पर उन्होंने गहन चिन्तन किया था। इसीलिए उनका मानवतावादी दर्शन समस्त मानव मात्र के लिये कल्याणकारी था। उन्होंने ममता, समता और बन्धुत्व की भावना को प्रतिष्ठापित करने के लिये एकात्म मानववाद का दर्शन प्रस्तुत किया।
आनंदीबेन पटेल ने कहा कि राष्ट्रहित, चिन्तन, उच्च विचार, मानवीय मूल्य और सादगी सभी एक साथ पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के व्यक्तित्व में जीवन्त रूप में देखने को मिलते थे। वे मानव ही नहीं, बल्कि मानव से बहुत ऊंचे थे। वे समाज में समता, ममता, बंधुत्व के प्रेरक और गरीबों के प्रति समर्पित थे। राष्ट्र के लिये समर्पित एक निष्काम कर्मयोगी के रूप में उनका जीवन उच्च आदर्शों और सादगी का अभूतपूर्व उदाहरण था। दीनदयाल जी का मानना था कि शिक्षा और विचार धाराओं के द्वारा प्रत्येक व्यक्ति को समाजनिष्ठ बनाया जाये।
आनंदीबेन पटेल ने कहा कि देश के आर्थिक विकास का आधार खेती है। इसीलिये किसानों को आत्मनिर्भर बनाना होगा, क्योंकि खेती से ही उद्योग आगे बढ़ेंगे, जिनके उत्पाद बाजार में आने से लोगों की जरूरत पूरी होगी तथा राजस्व भी प्राप्त होगा इलिलये ये बेहद जरूरी है कि किसान आत्मनिर्भर हों। राज्यपाल ने बताया कि पंडितजी ने हर खेत को पानी और हर हाथ को काम का विचार विचार दिया था। क्योंकि भारत कृषि प्रधान देश है। उन्नत खेती के लिए गम्भीरता से प्रयास करने की आवश्यकता थी। खेती लाभप्रद होती, भंडारण बाजार की उचित व्यवस्था होती, तो गांव से शहर की ओर इतना पलायन न होता। बड़ी संख्या में हमारे युवा कृषि कार्य में लगे होते। उन्होंने बताया कि कृषकों को आत्मनिर्भर एवं स्वावलम्बी बनाने की दिशा में भारत सरकार ने 2024-25 तक दस हजार (10,000) किसान उत्पादक संगठन तथा उत्तर प्रदेश सरकार ने 2024-25 तक दो हजार पांच सौ (2500) किसान उत्पादक संगठनों के सृजन का संकल्प लिया है।
राज्यपाल ने बताया कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चिन्तन एवं मनन से बहुत प्रभावित हैं। वे देश के विकास में पंडित जी के सपनों को आधार बनाकर ही किसानों, श्रमिकों, युवाओं, महिलाओं सहित सभी वर्ग के लिये कार्य कर रहे हैं। प्रधानमंत्री जी ने स्वयं एक बार अपने उद्बोधन में इस बात का जिक्र किया था कि- ‘21वीं सदी के भारत को विश्व पटल पर नई ऊंचाई देने के लिए, 130 करोड़ से अधिक भारतीयों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए, आज जो कुछ भी हो रहा है। उसमें पंडित दीनदयाल जी जैसे महान व्यक्तित्व का बहुत बड़ा आशीर्वाद है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि सुनील देवधर, विशिष्टि अतिथि डाॅ0 वल्लभभाई कठेरिया तथा दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह सहित विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारीगण ने भी आॅनलाइन सहभागिता की।