40 की उम्र में पास की दसवी बनी पहली महिला ऊबर ड्राइवर

By Tatkaal Khabar / 16-05-2018 04:20:55 am | 13071 Views | 0 Comments
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जिंदगी की मुश्किलों को सहते हुए खुद को परेशानियों से निकालना ही हिम्मत है। जो लोग इस बात को समझ कर अपनी कोशिशों को जारी रखते हैं, वह दूसरों के लिए भी मिसाल बन जाते हैं। आज हम बात कर रहे हैं, दिल्ली में रहने वाली शानू बेगम की। जिन्होंने 40 की उम्र में दसवीं की परीक्षा पास करके ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया और दिल्ली में ही वह महिलाओं के लिए कैब ड्राइवर बनीं। इसके पीछे शानू की दर्द भरी कहानी है, जो दूसरी औरतों के लिए किसी प्रेरणा से कम नही है तीन बच्चों की मां शानू सिंगल मदर है, घर को चलाने और बच्चों के पढ़ाने के लिए उन्होंने कुक से लेकर केयर टेकर तक का काम भी किया। वह चाहती थी कि अपने बच्चों को वह अच्छी शिक्षा दे सकें, इन छोटे-छोटे कामों मेहनत तो लगती थी लेकिन न तो अच्छी कमाई होती थी और न ही समय पर पैसे मिल पाते थे। फिर आजाद फाउंडेशन के जरिए उन्हें छह महीने के ड्राइविंग कोर्स के बारे में पता चला। पहले उन्होंने सोचा कि यह
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बहुत मुश्किल काम है लेकिन इससे बाद में नियमित आय का स्रोत मिल जाने की उम्मीद थी।
इसके बाद शानू ने गाड़ी चलाने की ट्रेनिंग शुरू की, एक साल तक उसने निजी उपयोग के लिए गाड़ी भी चलाई। उसके बाद फिर उसने सखा नाम की कैब सर्विस में काम करन शुरू किया। इस कैब सर्विस की खास बात यह थी कि यह खास तौर पर महिलाओं को कैब सर्विस मुहैया करवाने के लिए बनी थी। शानू अब ऊबर कार चलाती है। इसके लिए वह खुद पर गर्व भी महसूस करती है। शानू कहती हैं, ‘अगर मैंने पढ़ाई नहीं की होती तो आज घर साफ कर रही होती या खाना पका रही होती। लेकिन इस काम में लोग मुझे सम्मान देते हैं और मुझे भी कैब ड्राइवर बनकर गर्व होता है। आमतौर पर लोगों का यह मानना होता है कि महिलाएं कार ड्राइवर का काम नहीं कर सकती या फिर ड्राइवर का काम महिलाओं को सम्मान नहीं देता लेकिन शानू का यह कदम लोगों की सोच को बदलने के लिए काफी है। कोई गलत काम करने से बेहतर है कि किसी अच्छे काम से मेहनत की कमाई की जाए। शानू आज ड्राइविंग के जरिए घर के लिए सम्मान के साथ पैसा भी कमा रही है और महिलाओं की सुरक्षा के लिए उसका यह जरूरी कदम दूसरे लोगों के लिए मिसाल बन रहा है