भारत में लोकतंत्र खतरे में है...
बंगाली फिल्म व बॉलीवुड अभिनेत्री और फिल्मकार नंदिता दास का कहना है कि भारत में लोकतंत्र खतरे में है, कलाकारों, लेखकों व तर्कवादियों को किसी न किसी रूप में निशाना बनाया रहा है. उनका मानना है कि रूढ़िवादी और दक्षिणपंथी समूह तेजी से देश की नैतिक पुलिस बनते जा रहे हैं.
चाहे संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ को लेकर मचा हंगामा हो या फिर फिल्म ‘एस दुर्गा’ की स्क्रीनिंग को लेकर बवाल मचना हो या फिर हिंदी फिल्म उद्योग में पकिस्तानी कलाकारों के काम करने पर अस्थायी प्रतिबंध लगाने की बात हो, भारत में रचनात्मक आजादी की सीमा पर बहस आए दिन छिड़ती रहती है और नंदिता को लगता है कि रचनात्मक आवाजों को दबाने के प्रयास किए जा रहे हैं.
चाहे संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ को लेकर मचा हंगामा हो या फिर फिल्म ‘एस दुर्गा’ की स्क्रीनिंग को लेकर बवाल मचना हो या फिर हिंदी फिल्म उद्योग में पकिस्तानी कलाकारों के काम करने पर अस्थायी प्रतिबंध लगाने की बात हो, भारत में रचनात्मक आजादी की सीमा पर बहस आए दिन छिड़ती रहती है और नंदिता को लगता है कि रचनात्मक आवाजों को दबाने के प्रयास किए जा रहे हैं.
नंदिता ने ईमेल के जरिए दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने कहा था : ‘हमारी जिंदगी खत्म होने की शुरुआत उस दिन हो जाएगी, जिस दिन हम मायने रखने वाली चीजों के बारे में चुप्पी साध लेंगे. इन दिनों चाहे मीडिया हो या कोई व्यक्ति हो, लोगों को स्वयं घोषित निगरानी समूहों द्वारा सेंसर किया जा रहा है या फिर लोग डर के कारण खुद ही अपने आपको सेंसर कर रहे हैं.
फिल्म ‘फायर’ की अभिनेत्री ने कहा, रूढ़िवादी और दक्षिणपंथी समूह तेजी से देश की नैतिक पुलिस बन रहे हैं. इसी के साथ, आधिकारिक सेंसर निकाय ज्यादा कट्टर रुख अपना रहे हैं और उनके नियम ज्यादा से ज्यादा आत्मगत और मनमाने होते जा रहे हैं.