बसंत पंचमी: कमल के फूल में विराजमान मां सरस्वती का हर रूप ज्ञान की पाठशाला

By Tatkaal Khabar / 04-02-2022 05:33:39 am | 14296 Views | 0 Comments
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आज जो मांगेंगे सब देगी मां सरस्‍वती, सर्वाथ अमृत सिद्धि योग में विधि-विधान से पूजा करने का फल जरूर मिलेगा। देशभर में उत्‍साह से मनाए जा रहे वसंत पंचमी के दिन विद्या-बुद्धि की अधिष्‍ठात्री देवी मां सरस्‍वती की पूरी श्रद्धा-निष्‍ठा से पूजा हो रही है। माघ मास की शुक्ल पक्ष पंचमी को वसंत पंचमी के दिन मां सरस्‍वती अराध्‍य भाव से हर घर में पूजी जाती हैं। इस दिन मां सरस्वती का धरती पर अवतरण हुआ।बसंत पंचमी का त्योहार देशभर में पूरे उत्साह से मनाया जाता है। मान्यता हैं कि इस दिन ज्ञान की देवी सरस्वती प्रकट हुई थी। देवी मां का वाहन हंस हैं। कमल के फूल में विराजमान माता के एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में वीणा हैं। इसके साथ ही वे एक हाथ से भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। ऐसे में माता के ये स्वरूप हमें अलग-अलग सीख देते हैं। ऐसे में हमें इनके स्वरूप को अपने जीवन में अपने अपनाने से हम अपने व्यक्तित्व को निखार सकते हैं। चलिए बसंत पंचमी के शुभ मौके पर हम आपको माता के इन स्वरूप से मिलने वाली प्रेरणा के बारे में बताते हैं...
ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती पृथ्वी पर प्रकट हुईं थीं।
 उन्हीं के जन्म के उत्सव पर बसंत पचंमी का त्योहार मनाया जाता है, सरस्वती देवी की पूजा की जाती है।

कमल पर विराजमान
मां सरस्वती का आसन कमल का फूल है। कमल का फूल कीचड़ और पानी में खिलता हैं। मगर वे खुद को इतना ऊंचा रखता है कि उसे दोनों में से कोई भी स्पर्श नहीं कर पाता हैं। ऐसे में इससे हमें सीख मिलती हैं कि हमारे आसपास का माहौल चाहे कैसा हो उसका हमपर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। हमें कमल की तरह खुद के व्यक्तित्व को निखारने की कोशिश करनी चाहिए। रोजाना अपनी कमियों को गिनकर उसे सुधारने का प्रयास करना चाहिए।
हाथ में पुस्तक
देवी सरस्वती के हाथ में पुस्तक होती हैं। इसलिए उन्हें ज्ञान की देवी कहा जाता हैं। ऐसे में माता के हाथ की ये पुस्तक हमें शिक्षित होने के लिए प्रेरित करती हैं। पढ़ने-लिखने से हम जीवन में एक अच्छा मुकाम हासिल कर सकते हैं। ऐसे में मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए मन लगाकर ज्ञान अर्जित करें।

हाथ में वीणा
मान्यताओं अनुसार, जन्म के बाद मां सरस्वती ने वीणा की तार को जब छेड़ा तो सारा संसार आनंद से खिल उठा था। उसी तरह हमें अपेन मन को हमेशा खुश व आत्मविश्वास से भरा रखना चाहिए। स्वयं खुश रहने से हम दूसरों के चेहरे पर भी मुस्कान लाने का काम कर सकते हैं। ऐसे में वीणा का अर्थ खुश रहने और खुशी बांटना कहा जा सकता है।

हाथ में माला
मां सरस्वती के हाथ में पकड़ी माता हमें धर्म के राह पर चलने की प्रेरणा देती हैं। कहा जाता हैं कि भगवान का ध्यान करने से हम उनके करीब रहते हैं। ऐसे में जीवन हमेशा खुशियों से भरा रहता है। इसके साथ ही अंहकार की भावना से हम दूर रहते हैं।