Ashok Stambh: संसद में अशोक स्तंभ पर नया विवाद, शेरों को लेकर विपक्ष ने जताई आपत्ति
नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नई संसद भवन के छत पर बने अशोक स्तंभ का सोमवार को उद्घाटन किया गया। इसके बाद से ही यह विपक्षी दलों के निशाने पर आ गया है। असल में विपक्षी दल नए अशोक स्तंभ पर बने चारों शेरों की डिजाइन पर सवाल उठा रहे हैं। इसके मुताबिक इन शेरों का मुंह आक्रामक ढंग से खुला हुआ है, जबकि सारनाथ में बने मूल अशोक की लाट पर जो शेर बने हैं, उनका मुंह बंद है।
पहले विपक्ष ने कहा कि अशोक स्तंभ का उद्घाटन पीएम मोदी ने क्यों किया, उसका उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को करना चाहिए था। अब कहा जा रहा है कि अशोक स्तंभ में जो शेर हैं, वह हमारी परंपरा से मेल नहीं खाता। पहले वाले शेर शांत थे, नए वाले अशोक स्तंभ में शेर आक्रामक हैं। विपक्षी दल नए अशोक स्तंभ पर बने चारों शेरों की डिजाइन पर सवाल उठा रहे हैं। इसके मुताबिक इन शेरों का मुंह आक्रामक ढंग से खुला हुआ है, जबकि सारनाथ में बने मूल अशोक की लाट पर जो शेर बने हैं, उनका मुंह बंद है। अशोक स्तंभ जीत का प्रतीक है और 4 सिंह शक्ति, साहस, आत्मविश्वास और गर्व का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इस बार में जवाब देते हुए केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि अनुपात और परिप्रेक्ष्य की भावना होनी चाहिए। सुंदरता को देखने वाले की आंखों में झूठ के रूप में प्रसिद्ध माना जाता है। शांत और क्रोध के साथ भी ऐसा ही है। मूल सारनाथ का प्रतीक 1.6 मीटर ऊंचा है, जबकि नई संसद की बिल्डिंग के शीर्ष पर स्थित प्रतीक 6.5 मीटर ऊंचाई पर विशाल है।
इस बारे में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक बीआर मणि ने कहा कि मूल स्तंभ 7-8 फीट का है जबकि यह लगभग 21 फीट का है। इस तरह के अंतर के साथ परिप्रेक्ष्य बदलता है। जमीनी स्तर से देखने पर कोण अलग होता है लेकिन सामने से देखने पर साफ होता है कि इसे कॉपी करने का अच्छा प्रयास है। 1905 में उत्खनित अशोक स्तंभ को भारत के संसद भवन के ऊपर स्थापित करने के लिए कापी किया गया था। विपक्षी नेताओं के दावों को बेबुनियाद या बेमानी नहीं कहेंगे, लेकिन इस पर राजनीतिक टिप्पणी करना ठीक नहीं है।