उत्तराखंड भू-धंसाव का मामला और भी भयावह : जोशीमठ-कर्णप्रयाग के बाद खौफ के साए में गढ़वाल के 30 गांव
उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में दरारें पड़ने से दरक रही जमीनों के दायरे में 80 किलोमीटर पहले बसे कर्णप्रयाग के बाद अब टिहरी जिले का चंबा भी आ गया है. यहां के मकानों और भवनों में दरारें पड़ती नजर आ रही हैं. ऐसे में लोगों और प्रशासन की टेंशन बढ़ गई है. गढ़वाल के चंबा में करीब 30 गांव प्रभावित नजर आए हैं.उधर, कर्णप्रयाग में भी 50 से 60 मकान भू-धंसाव और दरारों से प्रभावित हैं. आज यानी बुधवार को पीडब्ल्यूडी की टीम ने सर्वे किया. जिसमें असुरक्षित मकानों को चिन्हित किया गया.
लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने की तैयारी शुरू कर दी गई है. कई मकान पहले ही लोग खाली कर चुके हैं. आपको बता दें कि 2013 में नवीन मंडी के निर्माण से ही समस्या शुरू हुई थी. चार धाम हाईवे निर्माण के समय समस्या और बढ़ी. जिसके बाद अब दरारें बढ़ती ही जा रही हैं. लोगों का आरोप है कि सरकारी परियोजनाओं से नुकसान हुआ है, लेकिन कोई सरकारी मदद नहीं मिली है.
रहने को मजबूर
कर्णप्रयाग के बहुगुणानगर के स्थानीय निवासी उमेश रतौरी और उनकी पत्नी कमला रतौरी के परिवार में चार सदस्य हैं. इन्होंने 7 मवेशी भी पाल रखे हैं, जो इनके लिए आजीविका का साधन है. मकान में इतनी दरारें हैं कि ये रहने के लिए बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं, लेकिन इसके बावजूद परिवार यहीं रहने को मजबूर है. इनका कहना है कि सरकार की तरफ से अब तक न कोई सहायता मिली है और न विस्थापन के लिए ही उचित व्यवस्था की गई. इसलिए वह खतरे के बीच ही रह रहे हैं.
हाईवे परियोजना और नवीन मंडी दरकने के जिम्मेदार
भगवती प्रसाद सती 73 साल के बुजुर्ग हैं. सप्लाई इंस्पेक्टर से रिटायर्ड हैं और परिवार में 7 सदस्य हैं. जिसमें छोटे बच्चे भी हैं. साल 1995 से प्रसाद का परिवार दरारों वाले मकान में रह रहा है, जो देखने से ही बेहद असुरक्षित लगता है. इन्होंने शासन-प्रशासन को कई पत्र भी लिखे, लेकिन प्रशासन उदासीन ही बना रहा है. उधर, 88 साल के गब्बर सिंह रावत अपने 11 सदस्यों वाले परिवार के साथ कर्णप्रयाग क्षेत्र में रहते हैं, जो कभी भी जमींदोज हो सकता है. सरकार और प्रशासन के प्रति इनमें आक्रोश है. हाईवे परियोजना और नवीन मंडी के निर्माण कार्य को यहां की समस्या के लिए दोषी मानते हैं.