तिरुपति लड्डू विवाद पर सद्गुरु ने कहा, 'मंदिर के प्रसाद में गाय की चर्बी का होना बेहद घृणित'
तिरुपति मंदिर के प्रसाद (लड्डू) में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल किए जाने की बात सामने आने के बाद पूरे देश में राजनीतिक बवाल मचा हुआ है। इस बीच, ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु ने भी इस मामले में रविवार को प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि मंदिर के प्रसाद में गोमांस की चर्बी का होना बेहद घृणित है।
उन्होंने कहा कि मंदिरों का संचालन सरकार और प्रशासन द्वारा नहीं, बल्कि भक्तों द्वारा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "जहां भक्ति नहीं है, वहां पवित्रता नहीं होगी।"
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, "मंदिर के प्रसाद में गाय की चर्बी होना घृणित है। यही कारण है कि मंदिरों को भक्तों द्वारा चलाया जाना चाहिए, न कि सरकार द्वारा। जहां भक्ति नहीं है, वहां पवित्रता नहीं होगी। समय आ गया है कि हिंदू मंदिरों को सरकार द्वारा नहीं, बल्कि धर्मनिष्ठ हिंदुओं द्वारा संचालित किया जाए।"
शनिवार को कांग्रेस के पूर्व नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की और इसे सनातन धर्म को निशाना बनाने वाला एक "बहुत खतरनाक साजिश" बताया।
'प्रसादम' पर विवाद तब शुरू हुआ जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने 18 सितंबर को दावा किया कि वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी की सरकार के तहत तिरुपति लड्डू की तैयारी में पशुओं की चर्बी और घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने दावा किया कि तिरुमला लड्डू घटिया सामग्री से बनाया गया।
प्रमोद कृष्णम ने कहा, "उन्होंने 'अन्नदानम' (निःशुल्क भोजन) की गुणवत्ता से समझौता किया और घी के स्थान पर पशुओं की चर्बी का उपयोग कर पवित्र तिरुमला लड्डू को भी दूषित कर दिया।" लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि सरकार बदलने के बाद लड्डू शुद्ध घी से बनाए जा रहे हैं।
हालांकि, वाईएसआरसीपी सांसद और तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के पूर्व अध्यक्ष वाई.वी. सुब्बा रेड्डी ने सीएम नायडू के मिलावट के दावों का खंडन करते हुए स्पष्ट किया कि टीटीडी ने 'प्रसादम' के लिए केवल शुद्ध गाय का घी और जैविक उत्पादों का उपयोग किया गया।