सुप्रीमकोर्ट ने कहा, जब हारे ईवीएम से छेड़छाड़, जीतने पर कुछ न कहना- इसे कैसे देखा जाए!

By Tatkaal Khabar / 27-11-2024 12:51:53 pm | 710 Views | 0 Comments
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चुनावी सुधारों के साथ बैलेट पेपर मतदान प्रणाली फिर शुरू करने की मांग वाली जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. याचिकाकर्ता की इस दलील पर कि आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू और पूर्व सीएम वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने भी ईवीएम से छेड़छाड़ पर सवाल उठाए थे, जस्टिस विक्रम नाथ और पी.बी. वराले की पीठ ने कहा, ‘जब नायडू या रेड्डी हारते हैं तो कहते हैं कि ईवीएम से छेड़छाड़ की गई. जीतने पर कुछ नहीं कहते. इसे कैसे देखा जाए?’

पीठ ने कहा कि यह वह जगह नहीं है, जहां आप इस तरह की बहस करें. याचिकाकर्ता डॉ. के.ए. पॉल ने सुझाव दिया कि भारत को अमरीका जैसे देशों की प्रथा का पालन करना चाहिए, जो मतपत्रों का इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने तर्क दिया कि ईवीएम लोकतंत्र के लिए खतरा है. एलन मस्क ने भी ईवीएम से छेड़छाड़ पर चिंता व्यक्त की है. पॉल ने यह भी मांग की थी कि पैसे या शराब बांटते हुए पकड़े जाने पर उम्मीदवारों को पांच साल के लिए अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए. इससे निपटने के लिए व्यापक नीति होनी चाहिए. चुनावी भागीदारी बढ़ाने के लिए मतदाता शिक्षा कार्यक्रम, राजनीतिक दलों के वित्तपोषण की जांच के लिए तंत्र और चुनावी हिंसा को रोकने के लिए नीतिगत ढांचा होना चाहिए.

बैलेट पेपर से चुनाव की मांग को लेकर कांग्रेस ने देशव्यापी अभियान चलाने का ऐलान किया है. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार कहा कि हम भारत जोड़ो यात्रा की तर्ज पर अभियान चलाएंगे. ओबीसी, एससी, एसटी और कमजोर तबके के लोग जो वोट दे रहे हैं, फिजूल जा रहे हैं. खरगे ने कहा, अहमदाबाद में कई गोदाम हैं. ईवीएम को वहां रख देना चाहिए. अगर ऐसा हो जाए तो इन लोगों को पता चल जाएगा कि वे कहां खड़े हैं. खरगे ने जातीय जनगणना का मुद्दा उठाते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी जातीय जनगणना से डरते हैं. उन्हें समझ लेना चाहिए कि समाज का हर तबका अपनी हिस्सेदारी चाहता है.

एनसीपी (शरद पवार) के वरिष्ठ नेता जितेंद्र अव्हाड ने ईवीएम पर सवाल उठाते हुए कहा कि महाराष्ट्र में एक परिवार में 32 वोट हैं. सभी लोगों ने परिवार के प्रत्याशी को वोट दिया. फिर भी जीरो वोट दिखाए गए. ऐसा कैसे हो सकता है? उन्होंने कहा, हम अपनी हार के लिए कोई एक कारण नहीं मान सकते. मुझे तो यकीन नहीं होता कि लडक़ी बहिन योजना का इतना असर हो सकता है. अव्हाड ने कहा, जीते हुए विधायकों ने भी कहा कि कहीं न कहीं ईवीएम का बड़ा मसला है. इसके खिलाफ पूरे राज्य में आंदोलन खड़ा हो सकता है.